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देशी शब्दकोश
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टेक्करय-स्थल (दे ४१३ वृ)। टेट्टिकालक-पक्षी-विशेष (अंवि पृ २३८) । टेट्टिवालक-चित्र-विचित्र रंगों वाला पक्षी-विशेष, तितली (?)
__ (अंवि पृ २२५)। टेणग-झाग (अनुद्वाचू पृ १३) । टोक्कण---दारू मापने का बर्तन (दे ४१४)। टोक्कणखंड-दारु मापने का पात्र (दे ४१४ वृ)। टोक्कर-जाली या डोरी (बटी पृ १६४१)। टोप्परिया--पात्र-विशेष (आवहाटी १ पृ २७५) । टोल-१ अप्रशस्त (जंबू २११३३) । २ ऊंट (भटी प ३०८) । ३ टिड्डी
'टोलोव्व' उप्फिडंतो' (प्रसा १५७) । ४ शलभ-'टोलोव्व मा पड । तुम उज्जाणे' (दे ४।४)। ५ पिशाच-'टोलं पिशाचमाहुः सर्वे शलभं
तु राहुलकः' (वृ)। ६ टोली, यूथ । टोलंब-महुआ का पेड़ (दे ४।४) । 'टोल' गति-१ टेढ़ी-मेढ़ी गति (भ ७।११९) । २ गुरुवंदन का एक दोष,
टिड्डी की तरह फुदक-फुदक कर वंदना करना
(प्रसाटी प ३६)। टोला-टिड्डी-'टोला तिड्डया इति चूणो विशेषचूणौँ' (बृटी पृ ६७५) । टोल्ल-मुंड सिर पर अंगुली का आघात, ठुनकाना (व्यभा १ टी प १३) ।
ठोला मारना (राज)।
ठ
ठइअ—१ उत्क्षिप्त (दे ४१५) । २ अवकाश (वृ)। ठक्कुर-ठाकुर (बृटी पृ ५४) । ठरिअ-१ सम्मानित । २ ऊर्वस्थित (दे ४।६) । ठल्ल –निर्धन (दे ४१५ वृ)। ठल्लय-निर्धन (दे ४१५)। ठविआ-प्रतिमा (दे ४१५) । ठाग–अवकाश, स्थान (बृभा ४८५०) ।
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