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देशी शब्दकोश
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जगडिअ-१ कथित (दे ३।४४) । २ लड़ाया हुआ। जगडिज्जंत-उत्तेजित होते हुए-'धन्नाणं तु कसाया जगडिज्जंता वि
परकसाएहिं' (चं १४१) । जगडित-प्रेरित (निभा ३५१) । जगल-१ पंकवाली मदिरा, मदिरा का नीचे का भाग (दे ३.४१) ।
२ पंकिल सरका-पंकिलसरको जगलं इत्यन्ये' (व)। जगार-राब, यवागू (प्रसाटी प ५१)। जगारी–राब, यवागू-'जगारीशब्देन समयभाषया रब्बा भण्यते'
(प्रसाटी प ५१)। जग्गह-जो मिले वह लूटन की राजाज्ञा-'रन्ना जग्गहो घोसितो'
(आवचू १ पृ ३१८) । जग्गिक-जंगम जीवों के रोम का बना वस्त्र (अंवि पृ २३२) । जच्च-पुरुष (दे ३।४०) । जच्चंदण-१ गंध द्रव्य-विशेष, अगर । २ कुंकुम (दे ३।५२)। जच्छंद-स्वच्छंद, स्वतंत्र (दे ३।४३ वृ)। जच्छंद-स्वच्छंद, स्वतंत्र (दे ३।४३)। जडिअ--जड़ित, खचित (दे ३।४१)। जडियाइल-एक महाग्रह (स्था २।३२५ पा)। जडियाइलग-एक महाग्रह (स्था २।३२५) । जडियाइलय-एक महाग्रह (चन्द्र २०) । जडिलय-राहु, ग्रह-विशेष (सूर्य २०)। जड-१ हाथी (पिनि ३८६) । २ मोटा (निचू ३ पृ ३)। ३ अशक्त,
असमर्थ (ति ११६३) । जड्डतरी-जाडी, मोटी (निचू ३ पृ ५१५) । जड़-रहित, त्यक्त (प्रसाटी प ३८) । जढ-परित्यक्त-वाहिओ वा अरोगी, वा सिणाणं जो उ पत्थए । वोक्कतो
होइ आयारो, जढो हवइ संजमो ।' (द ६।६०)। जणउत्त-१ ग्राम-प्रधान, गांव का मुखिया। २ विट, भांड (दे ३१५२) । जणक-कान का कुंडल जैसा आभूषण-विशेष (अंवि पृ १६२) जणत्ता-बराती (आवहाटी २ पृ ४६) जण्णता-बरातो (आवहाटी २ पृ ४६) ।
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