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________________ देशी शब्दकोश गायरी – कलशी, छोटा घड़ा (दे २१८६) । गार--- १ गीली मिट्टी, कर्दम ( निभा ४२३६) । २ कंकड़ (व्यभा ४/४ टी प ह ) । गारि - गीली मिट्टी, कर्दम ( निचू ३ पृ ३७० ) । —1 गावाण - पर्वत (प्रा ३ । ५६ ) । गाविआलोग - जहां गायों को बांटा आदि खिलाया जाता है - 'गाविमालोगे जत्थ गाविओ लिति' ( आचू पृ ३७० ) 1 गावी - गाय (द ५।१२) । गाह - घर - 'गाह त्ति वा गिहत्ति वा एगट्ठ' (आचू पृ ३३८) । गाहा - घर - ' गाहा घरं गिमिति एगट्ठा' ( व्यभा८ टीप १) । गाहावइ - १ गृहपति, गृहस्थ ( बृ १।३२ ) । २ धनी कौटुम्बिक ( स्थाटी प २५८ ) । ३ आश्रयदाता (स्थाटी प ३२२) । गाहुलि - क्रूर जलचर प्राणी - विशेष (दे २२८६ ) । गाहुल्लिया - गाथा - अण्णा गाहुल्लियं पढइ' ( कु पृ २६) । गिधुअ - स्तन पर गांठ देकर बांधा हुआ वस्त्र - 'कयगंठि थणोवरि विरइअंसुअं गिधुआं जाणं' ( पा ६५९ ) गिधुल्ल -- कञ्चुक, चोली ( पा ११६) । गिड्डिया - गेंद को फेंकने वाली वक्र यष्टिका (प्रसा ४३५) । गिणि- स्वजन ( व्यभा ५ टीप २६ ) । गिर - बीज - कोश (निचू २ पृ १८५ ) | गिरि - बीजकोश (दे ६।१४८) । गिरिकण्णइ – वल्ली - विशेष (प्रज्ञा १/४०१५)। १४६ गिरिजन्न – १ कोंकण देश में होने वाला सायंकालीन भोज - गिरियज्ञो नाम कोंकणादिदेशेषु सायाह्नकालभावी प्रकरणविशेषः । आह च चूर्णिकृत् --- 'गिरियज्ञ: कोंकणादिषु भवति उस्सुरे त्ति' । २ ला देश में वर्षा ऋतु में होने वाला भोज - गिरिजन्नो मत्तवालसंखडी भन्नइ सा, लाडविसए वरिसारते भवइ त्ति । ३ भूमिदाह'गिरिकं (ज) न्नत्ति भूमिदाहो त्ति भणितं होइ' (बूटी पृ ८०७) । गिरोलिया - छिपकली, गृहगोधा ( कु पृ १८४) । गिल्ल - गीला, आर्द्र - गिल्ल - सन्निही - गुल - कक्कय घयतेल्लादिया मुणेतव्वा' (जीचू पृ १४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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