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देशी शब्दकोश
११३. कुक्कड-१ उन्मत्त, मत्त (बृभा २०१६; दे २।३७) । २ शरीर का अवयव
विशेष (वि पृ ११४) । कुक्कुडिगा-ककड़ी (अंवि पृ ७१) । कुक्कुरुड-निकर, समूह (दे २।१३) । कुक्कुस-धान्य आदि का तुप (आचूला ११७६; दे २०३६) । कुक्कुह–चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष (प्रज्ञा ११५१) । कक्कहग--ताम्रवीणा-'कुक्कुहगो णाम तंबबीणा' (सूचू १ पृ ११६) । कक्कहाइय-चलते समय के अश्व का शब्द-विशेष-सीहे कुडुंबयारस्स पोट्टलं,
कुक्कुहाइयं अस्से । जाणंति बुद्धिमंता, महिलाहिययं न
जाणंति ॥' (तंदु १६४)। कुक्खलिका-उपकरण-विशेष (अंवि पृ १६१)। कुक्खि -कुक्षि, पेट (दे २।३४)। कुच्चविच्च-गृहस्थों की क्रियाएं-'ण य ताण कुच्चविच्चाणि निज्झाति
यव्वाणि' (आवचू १ पृ ३५४) । कुच्चोलि-संवत्सर (?) (अवि पृ २३६) । कुच्छर--दक्ष (दे २०१३ पा)। कुच्छिमइ-गर्भवती (दे २।४१) । कुच्छिल्ल-१ बाड़ का छिद्र (दे २।२४) । २ छिद्र, विवर (पा १०५) । कुट्टयरी-चण्डी, पार्वती (दे २।३५) । कुविद-मिट्टी के साथ कूटी हुई वट, पीपल, आदि वक्षों की छाल-'वड
पिप्पल-आसत्थयमादियाण वक्को मट्टियाए सह कुट्टिज्जति सो
कुट्टविंदो भण्णति' (निचू ४ पृ २०६)। कुद्रा-१ इमली-'कुट्टा चिञ्चनिका' (बृभा १७०६ टी) । २ गौरी, पार्वती
(दे २१३५)। कुट्टाअ-चर्मकार, मोची (दे २।३७) । कुट्टि-नकल-'कुट्टि वा करोतीत्यर्थः' (निचू ३ पृ ३६)। कुट्टिब-द्रोणी, नौका (पा ३२६) । कुट्टिद-नकल करने वाला, नकलची (निचू २ पृ १२१)। कुट्टिया-नकल (निचू २ पृ १७२) । कुठारी-कुठार (अंवि पृ ७२) । कुठारीक-भाजन-विशेष (अंवि पृ ७२)।
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