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________________ ११२ देशी शब्दकोश __नियोगिकस्य देशादेर्यत् समर्पणमिति' (विपा ११११४६ टी ३६) । २ शुक तोता (दे २।२१)। कुंतक-ठेका, इजारा (विपाटी प ३६) देखें-'कुंत'। कुंतल-सातवाहन, नृप-विशेष (दे २।३६) । कंतली--करोटिका, परोसने का एक उपकरण (दे २१३८) । कुंती-मंजरी, मांजर (दे २।३४) । कुंतीपोट्टलय-चतुष्कोण (दे २१४३) । कुंदअ--कृश, दुर्बल (दे २।३७)। कुंदीर-बिम्बीफल, कुन्दरुन का फल (दे २।३६) । कंदुरुक्क-मुर्गे की ध्वनि-'सो गंतुकामो रयणिपज्जवसाणे भणइ कुंदुरुक्क पडिबोहियल्लओ' (आवमटी प ५१२) । कुंदुल्लुय--उल्लू (पा ३६३) । कंधर --छोटी मछली (दे २।३२) । कंपल- कोंपल (पा ८८)। कंबर-छोटी मछली (पा ३०१)। कंभ--ललाट-सिंगं पुण कुंभपासेहि, कुंभशब्देन ललाटमेव भण्यते' (प्रसाटी प ३८) । कंभकंडक-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ २३२)। कुंभकारिआ क्षुद्र जंतु-विशेष (अंवि पृ २३८) । कुंभिणी-जल का गर्त (दे २।३८)। कंभिया--लोहमय या ताम्रमय पात्र (सूचू २ पृ ३७३) । कुंभिल-१ चोर । २ पिशुन (दे २।६२) । कंभिल्ल-खोदने योग्य (दे २।३६) । कुंभी-केश-रचना, केश-संयम (दे २।३४) । कंभेल्ल-खाद्य-विशेष-'कुंभेल्लसालिमाति पिहुखज्जा' (दअचू पृ १७३) । कुकह-थूभ, ककुद (आवचू १ पृ ३७२)।। कुकंदल-शरीर का अवयव-विशेष (अंवि पृ १२३) । कुकुड-मत्त, उन्मत्त (सूचू २ पृ ३१८) । कुकुला-नववधू (दे २।३३) । कुक्कयय-तुम्बवीणा (सू ११४१३८)। कक्कस-धान्य आदि का तुष (निचू २ पृ २३७) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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