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देशी शब्दकोश
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कालेज्ज-१ कलेजा, हृदयवर्ती मांस-खंड (सूनि ७३) । २ तमाल वृक्ष का
पुष्प (दे २।२६ व)। कालेयक-फल-विशेष (अंवि पृ २३२) । काव-कांवर वहन करने वाला (जीव ३१६१६) । कावलिअ-असहिष्णु (दे २।२८) । कावी-नीलवर्ण वाली (दे २।२६) । कावेल्ली--पात्र-विशेष (अनुद्वाहाटी पृ ७६)। कावोडि-कांवर (आवहाटी २ पृ ४४) । कावोडी-कांवर-‘बालादिसल्लविद्धवहणट्ठा कावोडी' (निचू ४ पृ १०६)। कावोय-कांवर वहन करने वाला (अनुद्वामटी प ४२) । कास-गुच्छ वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा १॥३७॥४) । कासार-सीसकपत्र, सीसे की चादर (Lead-Sheet) (दे २।२७)। कासिअ-१ सूक्ष्म वस्त्र । २ श्वेत वर्ण (दे २।५९) । कासिज्ज-काकस्थल नामक देश (दे २।२७) । काहल-१ वाद्य-विशेष (भटी पृ ८८३) । २ मृदु । ३ ठग (दे २।५८) । काहली-तरुणी (दे २।२६) । काहल्ली-१ प्रतिदिन उपभोग में आने वाला धान्य आदि । २ तपनी, तवी,
रोटी आदि बनाने-पेकने का सावन (दे २१५६) । काहार-१ नक्षत्र का संस्थान-विशेष (सूर्य १०।२८) । २ कहार, जल
__आदि लाने वाला कर्मकर (दजिचू पृ १२६; दे २।२७) । काहिल-गोपाल, ग्वाला (दे २।२८)। काहिल्लिआ-तवा (पा ६३६) । काहेणु-गुंजा, लाल रत्ती (दे २।२१) । किंकाणत-कृकाटिका, गरदन का पिछला भाग (सूचू १ पृ १३८) । किंकिअ-सफेद, श्वेत (दे २।३१) । किंखाइ-फिर कैसे-'से किं खाइ णं भंते !' (भ २॥१३४)-'किं खाई ति अथ
किं पुनरित्यर्थः' (भटी प १४६)। किंखाति-फिर कैसे (भटी प १४८) । किंजक्ख-शिरीष वृक्ष (दे २।३१)। किंधर-छोटी मछली (दे २।३२)। किंपअ-कृपण, कंजूस (दे २।३१) ।
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