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देशी शब्दकोश
कार-कटु, कड़वा, तीता (दे २१२६) । कारंकड–परुष, कठिन (दे २।३०)। कारंकडअ—परुष, कठिन (दे २।३० वृ)। कारा-रेखा (दे २।२६)। कारिअल्लिका-करेले की लता (अंवि पृ ७०)। कारिम-कृत्रिम, बनावटी, नकली (दे २।२७) । कारियल्ल-करैला की वल्ली (प्रज्ञा २४०१२)। कारियल्लई-वल्ली-विशेष, करेला का गाछ (प्रज्ञाटी प ३३) । कारिया-करेले का गाछ, गुच्छवनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३७।५) । कारल्लय-करैला (अनु ३।५०)। कारल्ला-करैला (अनुटी पृ ६) । कारोडिय-कापालिक-.."लाभत्थिया किव्विसिया कारोडिया कारवाहिया' .
(भ ६२०८)। काल-१ काला, अन्धकार (विपा १।८।१२; दे २।२६) । २ पुष्प-विशेष
(अंवि पृ ७०) । कालअ-धूर्त, ठग (दे २।२८)। कालंची-भाजन-विशेष (अंवि पृ ५२)। कालवट्ठ-धनुष (दे २।२८) । कालाडग-मत्स्य की जाति (अंवि पृ ६३)। कालापरण्णपिडि-खाद्य-विशेष (अंवि पृ ५) । कालिआ-१ शरीर । २ कालान्तर । ३ मेघ (दे २।५८)। कालिंग--तरबूज की वल्ली (अंवि पृ २३६)। कालिंगी-जंगली तरबूज की बेल (प्रज्ञा ११४०।१) । 'कालिजण-तमाल का वृक्ष (दे २।२६ वृ)। कालिजणी-तमाल की लता (दे २।२६) । कालिंब-१ शरीर । २ मेघ (दे २।५६) । कालियवाय-प्रतिकूल वायु-'थणियसद्दे कालियवाए जाव समुट्ठिए'
(ज्ञा १९६)। काली-१ तृण-विशेष । २ काकजंघा नामक तृण-'काली नाम तृणविशेषो,
केइ काकजंघां भणंति' (उचू पृ ५३)।
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