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देशी शब्दकोश
१०
कलुय-द्वीन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा १४६) । कलेर-१ कंकाल । २ भयंकर (दे २१५३) । कलोवाइ -पात्र-विशेष (आचूला १२२१) । कल्किक - मांस (सूचू १ पृ २०१ टि)। कल्पिक-मांस-मांसं कल्पिक इत्यपदिश्यते' (सूचू १ पृ २०१)। कल्ल-बीता हुआ कल-गयसुकुमालेणं अणगारेणं ममं कल्लं पच्चावरण्ह
कालसमयंसि वंदइ नमसइ' (अंत ३।१०१)। कल्लविअ-१ भिगोया हुआ, आद्रित । २ विस्तारित (दे २।१८) । कल्ला -मद्य (आवचू २ पृ २६७; दे २।२) । कल्लाकल्लि-१ प्रतिदिन (ज्ञा १८४१) । २ प्रातःकाल
(विपाटी प ८६)। कल्लाडक-मत्स्य-विशेष (अंवि पृ २२८) । कल्लाण-१ वृक्ष-विशेष (आचू पृ ३४१)। २ चक्रवर्ती का आहार-विशेष
(निभा ५७२)। कल्लाणग-चक्रवर्ती का आहार-विशेष-'कल्लाणगं णाम आहारो'
(निचू २ पृ २१)। कल्लाल-कलाल, मदिरा बेचनेवाला (जीभा ४२६) । कल्लग-नुकीला-कोंकणविसए णदीसु अंतो जलस्स कल्लुगा पासाणा भवंति'
(निचू ३ पृ ३७०)। कल्लरिका--मिष्ठान्न, मिठाई (आवमटी ३६०)। कल्लेउय-कलेवा-'कल्ले उयं च करेइ' (ओटी प १७२।। कल्लोल-शत्रु (दे २।२)। कल्हार-सफेद कमल (प्रज्ञा ११४६) । कल्होड-बछड़ा (दे २६)। कल्होडक-बछडा (बृटी पृ ६६६) । कल्होडी-वत्सतरी, बछिया (दे २१६) । कवचिका-उपकरण-विशेष (अंवि पृ ७२) । कवचिया–पात्र-विशेष (भ ११११५६ पा)। कवय-वनस्पति-विशेष, भूमिच्छत्र (दे २१३) । कवल -प्राणी-विशेष (अंवि पृ ६४)।
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