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देशी शब्दकोश
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उहरक-छोटा गांव (व्यभा ७ टी प ५६) । उहावणा-अपमान (व्यभा ६ टी प ५) ।
ऊ-१ गर्दा, निन्दा सूचक अव्यय-ऊति णाम मरहट्टादिसु णादिदुगुंच्छिज्जति'
(आचू पृ २३३) । २ प्रस्तुत वाक्य के विपरीत अर्थ की आशंका से उसे
उलटना। ३ विस्मय । ४ सूचना । ऊआ—यूका, जू (दे१।१३६) । ऊढिअय-१ प्रावृत, आच्छादित । २ आच्छादन, प्रावरण (पा ६३७) । ऊणंदिअ---आनन्दित (दे १११४१) । ऊणिमा-पूर्णिमा-'तओ तीए चेव ऊणिमाए भरिऊण भंडस्स पत्थिओ'
(उसुटी प ६४) । ऊणिस-तकिया 'सामायंति मुहाई ऊणिसगहियाण व थणाण' (कु पृ १७) । ऊमत्तिअ-दोनों पावों में आघात करना (दे १११४२) । ऊयरिणिया--जंतु-विशेष-'पत्तगबंधे ऊयरिणिया लग्गा' (निचू १ पृ ६८)। ऊर–१ ग्राम । २ संघ (दे १११४३) । करणिया--जन्तु-विशेष (निभा २८१)। ऊरणी-मेष, भेड़ (दे १११४०)। ऊरणीया--जंतु-विशेष । (निचू १ पृ६८) ऊल-गतिभंग, उतावल (दे १११३६)। ऊसढ-श्रेष्ठ, वर्ण आदि गुणों से युक्त, ताजा-'ऊसढं ऊसढे ति वा, रसियं
रसिए ति वा' (आचूला ११५७)। ऊसण-कामासक्ति से उत्पन्न उत्सुकता (दे १११३६) । ऊसत्थ-१ जम्भाई । २ आकुल (दे १।१४३)। ऊसय---उपधान, तकिया (दे १३१४०) । ऊसल-पीन, पुष्ट (दे १।१४०)। ऊसलिअ-१ रोमांचित, पुलकित (दे १३१४१) । २ उल्लसित (वृ) । ऊसविअ--१ उद्भ्रांत । २ ऊंचा किया हुआ (दे १११४३)।
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