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उodहलिया --वनस्पति- विशेष (भ २३।४) । उव्वेहासित - ऊंचा किया हुआ (अंवि पृ १४८)।
उसणसेण - बलभद्र (दे १।११८ ) ।
उसणी - एक प्रकार का धान्य जिसमें से तेल निकलता है (अंवि पृ २३२) । उसद्ध-- उत्कृष्ट - 'उसद्धं - उत्कृष्ट' (आचू पृ ३६२ ) ।
देशी शब्दकोश
उसध - पुष्प - विशेष (अंवि पृ २३२ ) ।
उसीर -- पद्मनाल, कमलनाल (दे १६४ ) ।
उसु
- बालक का इषु के आकार का एक आभरण (पिनि ४२४) । २ तिलक - 'उसू तिलगा' ( निचू ३ पृ ४०७ ) ।
उसुअ-दूषण, भूल (दे १1८8 ) |
उसुक—– तिलक, आभरण- विशेष (निचू ३ पृ ४०७)। उसुकाल - उदूखल (निचू ३ पृ ३७८) ।
उसुयाल -- ऊखल, उदूखल (आचूला ५।३६) ।
उस्स-ओस (स्था ४।६४० ) ।
उस्सण्ण- -१ प्राय: (बृभा २०४) । २ प्रभूत ( व्यभा २ टीप ६२ ) ।
उस्सन्न- - प्रायः (भ १५११८६ वृ ) ।
उस्सयण -- अभिमान - 'पलिउंचणं च भयणं च थंडिल्लुस्सयणाणि च । (सू २||११) ।
उस्सरण - वपन, बुआई - 'निच्चुदग नदी कुडंगमुस्सरणं' (बृभा ४०३५) ।
उस्सा - गाय (दे ११८६ वृ) ।
उस्सिघण - मर्दन - 'उस्सिंघण - मक्खणभंगण उच्छंदण उव्वट्टण' (अंवि पृ १९३ ) ।
उस्सुग --- मध्य भाग ( आचूला १।११६ पा ) ।
उस्सूलग - परिखा, खाई ( उ ६।१८) | देखें - 'उच्छूलग' ।
उस्सूलय - १ परिखा । २ शत्रु सेना का नाश करने के लिए ऊपर से आच्छादित गर्त्त - विशेष ( उशाटी प ३१० ) ।
उस्सेल्लय - सर्षपनाल से निष्पन्न शाक- एगेण साहुणा सासवणालुस्सेल्लयं सुसंभृतं लद्ध' (निचू ३ पृ २६४) ।
उहर – १ छोटा घर, उपगृह ( प्र १|१२ ) - 'उहर त्ति उपगृहाणि आश्रयविशेषा:' ( टीप ११) । २ छोटा - 'उहरग्गाममयमी'
(व्यभा ७ टीप ५६ ) ।
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