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देशी शब्दकोश
उप्पेअ- अभ्यंग, तैल आदि से मालिस-'उप्पेअं देशीपदमेतत् अभ्यङ्गम्'
(व्यभा ६ टी प १०)। उप्पेस-त्रास (से १०।६१) । उप्पेहड-१ उद्भट, तीव्र (दे ११११६) । २ आडंबरयुक्त (पा ६०)। उप्फंदोल-अस्थिर (दे १११०२)। उप्फल्ल-दुर्जन, खल (ति ६०१)। उप्फाल-दुर्जन (ति ६००; दे ११९०) । उप्किस--उफनना (बृटी)। उप्फुकिआ-धोबिन, कपड़ा धोने वाली (दे ११११४)। उप्फुडिअ-बिछाया हुआ, आस्तृत (दे १।११३) । उप्फुण्ण-आपूर्ण, भरा हुआ (दे ११६२) । उप्फुन्न--स्पृष्ट, छुआ हुआ (प्रसाटी प ३०४)। उप्फुरुहंसिगा-प्रज्वलित अंगीठी (सूचू १ पृ १२५) । उप्फेणउप्फेणिय-क्रोध से उफनते हुए–'उप्फेणउप्फेणियं सीहसेणं रायं एवं
वयासी' (विपा १।६।१८)। उप्फेणओफेणीय -क्रोध से उफनते हुए (विपाटी प ८३) । उप्फेस-१ मुकुट (स्था ५।७२) । २ त्रास, भय (दे ११९४) । ३ अपवाद,
निन्दा (व)। उप्फेसण-त्रास, भय (उसुटी प ५८)। उप्फेसया-निन्दा-'असरिसजण उप्फेसया ण हु सहियव्वा कुले पसूएण'.
(दे ११६४ वृ)। उप्फोअ-उद्गम, उदय (दे ११६१)। उप्फोस-१ त्रास (निभा १४८०) । २ प्रक्षालन (निभा ४०८५) । उप्फोसण-सिंचन, छिड़काव-'आवरिसणं पाणिएण उप्फोसणं'
(निचू २ पृ १७५) । उबेड्ड–अन्तःप्रविष्ट (आवचू २ पृ १६५) । उब्बिब-१ खिन्न । २ शून्य । ३ भयभीत । ४ उद्भट, उग्र । ५ क्रांत ।
६ प्रकट वेष वाला (दे १।१२७) । उब्बिबल-कलुषित जल, मैला पानी (दे १११११)।। उब्बूक्क-१ प्रलपित । २ संकट । ३ बलात्कार (दे १।१२८)। उब्बुड्ड-अन्तःप्रविष्ट, गड़ी हुई–'उब्बुड्डणयणकोसे' (अनुटी प ७)।
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