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देशी शब्दकोश
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उद्दिक-घट का एक प्रकार (अंवि पृ २५५) । उद्दिट्ठा-अमावस्या (स्था ४।३६२)। उहिसिअ-उत्प्रेक्षित (दे ११०६)। उद्दीढ-भक्षित, खाया हुआ (निचू ३ पृ ५८७) । उदंडग-उपहास का पात्र (बृभा ४००२) । उद्दूढ-१ चुराया हुआ, मुषित-'देशीवचनत्वाद् मुषितं' (बृटी पृ ८२५) ।
२ पराजित (अंवि पृ २५०) । उददेसग--जंतु-विशेष, दीमक (जीवटी प ३२)। उद्देहि-उपदेहिका, दीमक (दे ११६३) । उददेहिगा-१ दीमक । २ दीमक द्वारा कृत वल्मीक की मिट्टी
(पिटी प २०)। उद्देहिया-दीमक-'उद्देहियाखइयं वा कळं दुब्बलं' (आचू पृ २१२) । उद्धइय-आभ्यंतर-'उद्धइयाहिं देसीभासातो जं अब्भंतरं वुच्चति'।
(आचू पृ २१५)। उद्धच्छवि-विसंवादित, विपरीत, अप्रमाणित (दे १११४) । उद्धच्छविअ-सज्जित (दे १११६) । उद्धच्छिअ-निषिद्ध (दे १११११) । उद्धट्ट-ऊंचा (सूचू १ पृ १०४)। उद्धट्रक-उपहास पैदा करने वाली भाषा या आवाज (बूटी पृ १६७०) । उद्धत्थ--विप्रलब्ध, वंचित (दे ११६६)। उद्धरण-उच्छिष्ट, जूठा (दे १११०६)। उद्धवअ-उत्क्षिप्त, ऊपर फेंका हुआ (दे १।१०६) । उद्धविअ-पूजित (दे १११०७) । उद्धाअ-१ ऊबड़-खाबड़ प्रदेश, ऊंचा-नीचा प्रदेश । २ श्रान्त, थका हुआ।
. ३ संघात, समूह (दे १३१२४)। उद्धाण-उद्वसित, उजड़ा हुआ (व्यभा ४१४ टी प ७०) । उद्धाविय-समुद्रचारी डाकू आदि अत्यन्त क्रूर मनुष्य-'किं वा अहं सभग्गो
त्ति चिंतयंतो च्चिय सहसा उद्घाविएहिं बद्धो' (कु पृ ६६)। उद्धि--गाड़ी का एक अवयव (सूर्य १०।३७) । उंध (गुज)। उद्घमात-व्याप्त (नंदीचू पृ६) । उद्धमाय -पूर्ण (पा १४२) ।
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