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देशी शब्दकोश
४५.
___ रुक्कति सद्दकरणं, तं च वसभढिक्कियाइ' (अनुद्वाचू पृ १३) । उंडल-१ मंच, मचान । २ समूह (दे १११२६) । उंडि-मुद्रा (व्यभा ६ टी प ३५) । उंडिअ-मुद्रा वाला (व्यभा ६ टी प ३५)। उंडिय-मांस-पिण्ड-'तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडियाओ गिण्हावेइ'
(विपा ११५॥१५)। उंडिया--मुद्रा-विशेष, पत्र पर लगाई जाने वाली मुहर (बृभा १८६)
__ - उंडिया लेहस्स मुद्दा इति चूणौँ' (टी पृ ६१)। उंडी-पिंड, गोलाकार वस्तु-'तत्थ णं एगा वणमयूरी दो पुढे परियागए.
पिटुंडीपंडुरे निव्वणे निरुवहए भिण्णमुट्ठिप्पमाणे मयूरी-अंडए पसवइ'
(ज्ञा १३१५)। उंडुय- स्थान–'सपिंडपायमागम्म उंडुयं पडिलेहिया' (द ५११८७) । उंडेरग-एक प्रकार का धान्य (आवचू २ पृ ३१७) । उंडेरय--खाद्य वस्तु, बड़ा (आवचू २ पृ १६८) । उंढिय-संकुचित-'जह वा उंढियपादे पाअं काऊण हत्थिणो पुरिसे'
(व्यभा १० टी प ७३)। उंत-मंत्र का अभीष्ट शब्द, देव-विशेष (अंवि पृ ६) । उंदर-चूहा (उशाटी प १६६) । उंदु-मुख-'देशीवचनं उन्दु-मुखं' (अनुद्वामटी प २६)। उंदुक-स्थान-'उंदुकं इति स्थानम्' (बृटी पृ ३८०)। उंदुय-स्थान (बृभा १२२३) । उंदुर--१ वृक्ष पर रहने वाला प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२६) । २ पर्वत की
कन्दरा में रहने वाला प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२७) । उंदुरअ-लम्बा दिन (दे १११०५) । उंदुरी-चुहिया (अंवि पृ ६६) । उंदुरुक्क-मुंह से वृषभ की भांति शब्द करना- उंदुरुक्क त्ति देशीवचनं
उन्दु-मुखं तेन रुक्कं-'वषभादिशब्दकरणमुन्दुरुक्कं देवतादिपुरतों
- वृषभजितादिकरणमित्यर्थः' (अनुद्वामटी प २६) । उंदोइया--चुहिया (बृटी पृ ३६०) । उंबभरिया-एकास्थिक वृक्ष-विशेष (भ ८।२१६।२).। . उंबर-प्रचुर (दे ११६०)। उंबरउप्फ-- नवीन अभ्युदय, अपूर्व उन्नति (दे ११११६)। ...
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