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परिशिष्ट २ : २६१
४. ईहा-शुद्ध वस्तु की अन्वेषणा । ५. अपोह-मुनि द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले पदार्थों में संसक्त ___जीव आदि को यतनापूर्वक अलग करना । ६. प्रतिलेखना-आगमानुसार उसका निरूपण करना, आचरण करना। ७. प्रेक्षण-सावधानी पूर्वक निरीक्षण करना। ८. निरीक्षण-सूक्ष्मता से देखना। ६. आलोचन-मर्यादा पूर्वक निरीक्षण करना । १०. प्रलोकन-सघनता से निरीक्षण करना।' मायट्टि (आत्मार्थिन्)
'आयट्टि' शब्द के पर्याय में ८ शब्दों का उल्लेख है । आत्मार्थी का तात्पर्य है मोक्षार्थी । आत्मा की रक्षा करने वाला ही मोक्षार्थी हो सकता
है । इस प्रकार सभी शब्द आत्मार्थी शब्द के स्पष्ट वाचक हैं। मायाम (आयाम)
यद्यपि आयाम और विष्कम्भ ये दोनों शब्द अलग-अलग अर्थ के द्योतक हैं । आयाम का अर्थ है लम्बाई और विष्कम्भ का अर्थ है चौड़ाई, लेकिन ये दोनों माप के प्रकार हैं । अतः नंदी चूर्णिकार ने इनको एका
र्थक माना है। आयार (आचार)
... 'आयार' शब्द के दस पर्याय यहां संगृहीत हैं। यद्यपि सभी शब्द भिन्न भिन्न अर्थ के वाचक हैं, लेकिन तात्पर्य में सभी आचार अर्थ के वाचक हैं। अतः टीकाकार ने इनको एकार्थक माना है। इनका वाच्यार्थ इस प्रकार है१. आयार-जिसका आचरण किया जाता है ।
२. आचाल-जिससे सघन कर्मों को प्रकम्पित किया जाता है। १. ओनिटी प १२, १३ । २. नंदी चू पृ २५। ३. आटी प ५ : एते किञ्चिद् विशेषादेकमेवार्थ विशिषन्तः प्रवर्तन्ते इत्येकाथिकानि, शक्रपुरन्दरादिवत् ।
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