________________
समिध-सवण
परिशिष्ट १ । २६३
समिध समिय समिय समिय समिरीय समीप समीरिइय समुच्छित समुदाण समुदाय समुदाय समुसरण समुस्सय समुस्सय समूह समूह समूह समृद्ध समृद्धीभवन समेर समोसरण सम्पूर्ण सम्मज्जित सम्मत्त सम्मदित सम्मय
(जग्गंतक) सम्मिलन्ति (उवसंत) सम्मोइ (विरत) सम्मोइ (वंतप्प) सम्मोइ (सप्पभ)
सम्यग्दर्शन (अंतिक) सयंपभ (सप्पम) सयंभु (उदग्र) सयंभु
सयक्कतु (समूह) सयण (संहर्ष) सयपत्त (पिंड) सयय
(काय) सया जय (पृ१४६)
सरक (पृ १४६) सरग
(पिंड) सरण (गण) सरण (खात) सरभ (नन्दन) सरस्सती (सुसील) सरिस
(पिंड) सरीर (अशेष) सरोज
(हात) सर्व (सामायिक) सर्व (अतिवत्त) सर्वज्ञ
(थेज्ज) सर्वर्जु (सक्कार) सलाघण (पूयणहि) सलोल (अच्चिय) सल्ल
(आढाइ) सल्लुद्धरण (विट्टिवाय) सवण
(समवयन्ति)
(मित्ति) (समागम) (संधि) (धर्म)
(मंदर) (जीवत्थिकाय) (पितामह) (सक्क) (मित्त) (उप्पल) (पृ १४६) (विरत) (तट्टक) (तट्टक) (भवण) (अहिंसा) (पृ १४६)
(वक्क) (उवम्म)
(काय) (कमल)
(अशेष) (पृ १४६)
(आप्त) (पृ १४६) (उववूह) (चंचल)
(कम्म) (आलोयणा)
(उग्गह)
सम्माण
सम्माणकामय सम्माणिय सम्माणेइ
सम्मावाय
सवण
.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org