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“निरतिचार-निव्वय
परिशिष्ट १ : २१७
निरतिचार
(अखंड) निरुवसग्ग निरत्थय
(अलिय) निरेयण निरन्तर
(अणुसमय) निर्गम निरन्तर
(लोलुग) निर्जरा निरय
(खीण) निर्जीव निरय
(कम्म) निर्णय निरय
(अच्छ) निर्णय निरय-वास-गमण-निधण (पाव) निर्णीयते निरवयक्ख
(पाव) निर्देश निरवयव
(परमाणु) निर्भर्त्सना निरवशेष
(सर्व) निर्भेद निरवसेस
(पडिपुन्न) निर्भेद निरवसेस
(कसिण) निर्मम निरवसेस
(सव्व) निर्मल निरस्त
(मुक्त) निर्मल निरहंकार
(निर्मम) निर्मास निराउय
(अणाउय) निर्विचाल निराणंद
(दीण) निविवेक निरावरण
(अणावरण) निल्लक्खित निरावरण
(निव्वाण) निल्लालिय निरावरण
(अणुत्तर) निल्लेव
(निष्कंटक) निल्लोह निरावरण
(अणंत) निवायण निराश्रव
(निर्मम) निवारण निरिक्षण
(आभोग) निवारित निरीक्षित
(प्रेक्षण) निविशति निरीक्षित
(चहित) निवृत निरुपघात
(निष्कंटक) निवृत्त निरुपध
(ऋजु) निवृत्ति निरुवलेव
(अणासव) निव्वट्टन निरुवलेव
(संत) निव्वय
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(खेम) (निट्ठियट्ठ)
(प्रभव) (क्षपणा)
((प्रासुक) (अर्थाध्यवसाय)
(निश्चय) (विचीयते)
(देशन) (आक्रोश) (परमाणु)
(अणु) (पृ ८६) (विशुद्ध) (अवदात) (कक्खडो) (सुसंहत)
(बाल) (णिम्मज्जित)
(चंचल) (खीण) (अलोह)
(वध) (वारण) (संवरित) (विशति)
(संयत) (व्यावृत्त) (विरति) (पृ ८६) (निस्सील)
निरावरण
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