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(अनुमवृ प २४३)
उपोद्घात नियुक्ति-अनुगम
अनुयोग अर्थाधिकारो ह्यध्ययने आदिपदादारभ्य सर्व- २. नियुक्ति-अनुगम सूत्र से संपृक्त अर्थ का पदेष्वनुवर्तते, पुद्गलास्तिकाये मूर्त्तत्त्ववद् । .. . प्रतिपादन करना।
(अनुहावृ पृ ११८) सूत्र-अनुगम : सूत्र के गुण जिस अध्ययन या ग्रन्थ का जो प्रतिपाद्य अर्थ है, वह
अष्टाभिश्च गुणरुपपेतं यत्तलक्षणयुक्तमिति वर्तते, उसका अर्थाधिकार है।
ते चेमे गुणाः___ जो शास्त्र के आदि पद से लेकर अंतिम पद तक
निदोसं सारवंतं च, हेउजुत्तमलंकियं । अनुवृत्त होता है, वह अर्थाधिकार है। जैसे --पुद्गला
उवणीयं सोवयारं च, मियं महरमेव य । स्तिकाय में मूर्तता।
(अनुमवृ प २४३) समवतार
सूत्र के आठ गुणसर्व द्रव्याण्यात्मसमवतारेणात्मभावे समवतरन्ति ।
१. निर्दोष
५. उपनीत (अनुहावृ पृ ११८) २. सारवान्
६. सोपचार सब द्रव्य अपने-अपने भाव में समवतरित होते हैं- ३. हेतुयुक्त
७. मित और यही समवतार (अन्तर्भाव) है।
४. अलंकार युक्त
८. मधुर। __."दव्वसमोयारे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-आयसमो- अप्पक्खरमसंदिद्धं सारवं विस्सओमुहं । यारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे । सव्वदव्वा वि णं
अत्थोभमणवज्जं च, सुत्तं सव्वण्णुभासियं ।। आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेणं जहा कुंडे बदराणि, तदुभयसमोयारेणं जहां घरे थंभो आयभावे प्रकारान्तर से सूत्र के छह गुणय, जहा घडे गीवा आयभावे य। (अनु ६१३) १. अल्पाक्षर द्रव्य समवतार के तीन प्रकार हैं--
२. असंदिग्ध १. आत्म-समवतार-सब द्रव्य आत्मसमवतार के ३. सारवान् द्वारा आत्मभाव में समवतरित होते हैं।
४. विश्वतोमुख (जिसका प्रत्येक सूत्र अनुयोग२. पर-समवतार--सब द्रव्य परसमवतार के द्वारा
. चतुष्टय से व्याख्यात हो।) परभाव में समवतरित होते हैं, जैसे-कुण्ड में ... ५. अस्तोभक (च, वा आदि निपात से वियुक्त ।)
६. अनवद्य ३. तदुभयसमवतार- सब द्रव्य तदुभय समवतार क निर्यक्ति-अनगम द्वारा दोनों में समवतरित होते हैं, जैसे --खंभा घर
निज्जुत्तिअणुगमे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-निक्खेवमें और आत्मभाव में समवतरित है। जैसे -ग्रीवा ।
निज्जुत्तिअणुगमे उवग्घायनिज्जुत्तिअणुगमे सुत्तफासियघट में और आत्मभाव में समवतरित है।
निज्जुत्तिअणुगमे ।
(अनु ७११) ४. अनुगम की परिभाषा
___नियुक्ति अनुगम के तीन प्रकार हैं -निक्षेप .."अणुणोऽणुरूवओ वा जं सुत्तत्थाणमणुसरणं ॥ नियुक्ति-अनुगम, उपोद्घात नियुक्ति-अनुगम और
(विभा ९१३) सूत्रस्पशिक नियुक्ति-अनुगम। सूत्र का अनुसरण करना--व्याख्या करना अनुगम उपोद्घात नियुक्ति-अनुगम
__ उवग्घायनिज्जुत्तिअणुगमे 'अणुगंतव्वे, तं जहाअनुगम के प्रकार
उद्देसे निद्देसे य, निग्गमे, खेत्त काल पुरिसे य। - अणुगमे विहे पण्णत्ते, तं जहा-सुत्ताणुगमे य। कारण पच्चय लक्खण, नए समोयारण णुमए॥ निज्जुत्तिअणुगमे य।
. (अनु ७१०) कि कइविहं कस्स कहि, केस कहं केच्चिरं हवइ.कालं । । अनुगम के दो प्रकार हैं
कइ संतर मविरहियं, भवा गरिस फासण निरुत्ती ।। १. सूत्र-अनुगम-सूत्र का कथन करना।
(अनु ७१३)
बैर।
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