SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 516
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण ४७१ तत्प्रकर्षप्राप्तं करोति, नात्र विस्मयः । ततः स तस्कर अनुमान, हेतु और दृष्टान्त से साध्य को सिद्ध करने एतद्वाक्यममर्षवैश्वानरसन्धुक्षणसममाकर्ण्य जज्वाल कोपेन, वाली, वय-विपाक से परिपक्व होने वाली, अभ्युदय और ततः पृष्टवान् कमपि पुरुष-कोऽयं कस्य वा सत्क निःश्रेयस फलवाली बुद्धि का नाम पारिणामिकी है। इति?, ज्ञात्वा च तमन्यदा क्षरिकामाकृष्य गतः क्षेत्रे सुदीर्घकालपूर्वापरपर्यालोचनजन्य आत्मनो धर्मविशेषः तस्य पार्वे, रे! मारयामि त्वां सम्प्रति, तेनोक्तं-- स प्रयोजनमस्याः सा पारिणामिकी। किमिति ?, सोऽब्रवीत् त्वया तदानीं न मम खातं (नन्दीमव प १४४) प्रशंसितमितिकत्वा, सोऽब्रवीत् -सत्यमेतत्, यो यस्मिन् दीर्घकालीन पूर्वापरपर्याय के पर्यालोचन से उत्पन्न कर्मणि सदैवाभ्यासपर: स तद्विषये प्रकर्षवान् भवती, तत्राह- बुद्धि पारिणामिकी है। मेव दृष्टान्तः, तथाहि अमून् मुदगान् हस्तगतान् यदि भणसि उदाहरण तहि सर्वानप्यधोमुखान् पातयामि यद्वा ऊर्ध्वमुखान् अथवा पार्श्वस्थितानिति, ततः सोऽधिकतरं विस्मितचेताः प्राह अभए सिट्रि-कुमारे, देवी उदिओदए हवइ राया। पातय सर्वानप्यधोमुखानिति, विस्तारितो भूमौ पट:, साहू य नंदिसेणे, धणदत्ते सावग-अमच्चे ।। पातिता: सर्वेऽप्यधोमुखा मुद्गाः । जातो महान् विस्मय खमए अमच्चपुत्ते, चाणक्के चेव थूलभद्दे य । श्चौरस्य, प्रशंसितं भूयो भूयस्तस्य कौशलमहो विज्ञानमहो नासिक्क- सुंदरीनंदे, वइरे परिणामिया बुद्धी ।। विज्ञानमिति । (नन्दीमत् प १६४,१६५) चलणाहण-आमंडे, मणी य सप्पे य खग्गि-भिदे । किसी चोर ने एक सेठ के घर में इस प्रकार सेंध परिणामियबुद्धीए, एवमाई उदाहरणा ।। लगाई कि उसका आकार कमल जैसा बन गया। प्रात: (नन्दी ३८।११-१३) काल लोगों ने देखा और चोर की प्रशंसा की। वहां खड़े पारिणामिकी बुद्धि के बाईस उदाहरणएक किसान ने कहा-कार्यविशेष में दक्ष व्यक्ति उस १. अभयकुमार १२ अमात्य काम को कितनी ही निपुणता से करे, इसमें आश्चर्य जैसा २. श्रेष्ठी १३. चाणक्य क्या है ? किसान की बात सुनकर चोर को गुस्सा आ ३. कुमार १४. स्थूलभद्र गया। उसने किसान का नाम-पता पूछ लिया। ४. देवी १५. नासिकपुर-सुंदरीनन्द संध्या के समय वह हाथ में तलवार लेकर किसान ५. उदितोदित राजा १६. वज्र के घर गया और उसे मारने के लिए उद्यत हुआ। ६. साधु १७. चरण से हत किसान ने पूछा ---मेरा अपराध क्या है ? चोर बोला ७. नन्दिषेण १८. कृत्रिम आंवला तुमने मेरा अपमान किया है। किसान बोला- मैंने जो ८. धनदत्त १९. मणि कहा है, वह असत्य नहीं है। जो जिस विषय में सदैव ९. श्रावक २०. सांप अभ्यास करता है वह उस विषय में उत्कर्षता को प्राप्त १०. मंत्री २१. गेंडा करता है । इसका मैं स्वयं उदाहरण हूं-ये मूंग के दाने हैं। तुम कहो तो मैं इनको पृथ्वी पर इस प्रकार गिरा ११. क्षपक २२. स्तूप-उखाड़ना । सकता हूं जिससे इनका मुंह ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं हो कुमार का उदाहरण जाए। चोर ने उनको अधोमुख गिराने के लिए कहा। मोदकप्रियस्य कमारस्य प्रथमे वयसि वर्तमानस्य धरती पर एक वस्त्र बिछाकर किसान ने मूग गिराए। कदाचिद गणन्यां गतस्य प्रमदादिभिः सह यथेच्छ मोदकान सबका मुख नीचे की ओर था। चोर विस्मित हो गया। भक्षितवतोऽजीर्ण-रोगप्रादुर्भावादतिपूतिगन्धि वातकायउसने किसान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। यह कार्य के मुत्सृजतो या उद्गता चिन्ता, यथा अहो ! तादृशान्यपि अभ्यास से उत्पन्न कर्मजा बुद्धि का उदाहरण है। मनोहराणि कणिक्वादीनि द्रव्याणि शरीर-सम्पर्क६. पारिणामिकी बुद्धि की परिभाषा वशात्पूतिगन्धानि जातानि, तस्माद् धिगिदमशुचि शरीरं, अणुमाणहेउदिळेंतसाहिया, वयविवागपरिणामा। धिग्मोहो । ततः ऊर्व तस्य शुभशुभतराध्यवसायहियनिस्से यसफलवाई, बुद्धि परिणामिया नाम ॥ भावतोऽन्तर्मुहूर्तेन केवलज्ञानोत्पत्तिः । (नन्दीमवृ प १६६) (नन्दी ३८।१०) एक राजकुमार था। उसे मोदक का बहुत शौक था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy