________________
उपवास
प्रत्याख्यान
६. महत्तराकार-आचार्य के द्वारा आज्ञा देने पर। उक्खित्तविवेगो जं आयंबिले पडति विगतिमादि तं उक्खि७. सर्वसमाधिहेतु-अचानक किसी रोग के उभरने के वित्ता परिवाविज्जति य, णवरि गलिओ अण्णं वा कारण औषधि आदि दिये जाने पर।
आयंबिलअप्पाउग्गं जदि उद्धरितुं तीरति, उद्धरिएणं ण निर्विकृति
हम्मति । गिहत्थसंसठे णाम जदि गिहत्थडोयलियभायणं
वा लेवालेवाडं कुसणादीहिं तेण जदि ईसित्ति लेवादीहिं निविगइयं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं-असणं
देति ण भञ्जति, जदि बहरसो आलिखिज्जति बहतो ताहे पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवा
ण कप्पति । लेवेणं गिहत्थसंसठेणं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं
(आवचू २ पृ ३१७-३१९) पारिट्रावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआ
आयंबिल में अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य-इस गारेणं वोसिरइ।
आ
चतुर्विध आहार का प्रत्याख्यान किया जाता है। इसके पडुच्चमक्खियं णाम जदि अंगुलीहिं गहाय मक्खेति
आठ अपवाद हैंतेल्लेण वा घएण वा थोवएणं ताहे निव्वीतकस्स कप्पति,
१. अनाभोग -अत्यन्त विस्मृति होने पर। धाराए य विगई भवति। (आव २ पृ ३२०) २. सहसाकार-सहसा मुंह में कुछ डाल लेने पर।
निर्विगय में अशन, पान खाद्य, स्वाद्य -इस चतुर्विध ३. जिसमें दूध आदि का लेप लगा हो, उस पात्र से आहार का प्रत्याख्यान किया जाता है। इसके नौ आहार लेने पर। अपवाद हैं--
४. आयंबिल प्रायोग्य द्रव्य में आयंबिल अप्रायोग्य द्रव्य १. अनाभोग - अत्यन्त विस्मृति होने पर।
गिर जाये तो उसे निकाल देने पर। २. सहसाकार ... सहसा मुंह में कुछ डाल लेने पर। ५. अप्रायोग्य द्रव्य से संसृष्ट हाथ से लेने पर। ३. जिसमें दूध आदि का लेप लगा हो, उस पात्र से ६.पारिष्ठापनिका--अतिरिक्त आहार आ जाने पर आहार लेने पर।
परिष्ठापन की स्थिति में खाने पर। ४. विकृति से संसृष्ट हाथ से लेने पर।
७. महत्तराकार-आचार्य के द्वारा आज्ञा देने पर। ५. निविकृति द्रव्य में विकृति द्रव्य गिर जाए तो उसे
८. सर्वसमाधिहेतु- अचानक किसी रोग के उभरने के निकाल देने पर।
कारण औषधि आदि दिए जाने पर । ६. अंगुली से घी लेकर चुपड़ देने पर।
उपवास ७. पारिष्ठापनिका अतिरिक्त आहार आ जाने पर। परिष्ठापन की स्थिति में खाने पर।
सूरे उग्गए अभत्तट्ठ पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं८. महत्तराकार-आचार्य के द्वारा आज्ञा देने पर। असणं पाणं खाइमं साइम, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं ९. सर्वसमाधिहेतु-अचानक किसी रोग के उभरने के पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगाकारण औषधि आदि दिए जाने पर।
रेणं वोसिरइ।
(आव ६७) आयंबिल
सूर्योदय होने पर उपवास में अशन, पान, खाद्य, आयंबिलं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहार---असणं
स्वाद्य-इस चतुर्विध आहार का प्रत्याख्यान किया जाता
है। इसके पांच अपवाद हैंपाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्तविवेगेणं गिहत्थसंसट्टेणं पारिढावणिया
१. अनाभोग-अत्यंत विस्मृति होने पर। गारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ। २. सहसाकार-सहसा मुंह में कुछ डाल लेने पर।
(आव ६६)
३. पारिष्ठापनिका अतिरिक्त आहार आ जाने पर समयक्कतं आयामेणं आंबिलेण य आहारो कीरति
परिष्ठापन की स्थिति में खाने पर। तम्हा आयंबिलंति गोण्णं नाम ।
४. महत्तराकार आचार्य के द्वारा आज्ञा देने पर। लेवालेवे जदि भायणेणं पुव्वं लेवाडं गहियं जा ५. सर्वसमाधिहेतु-अचानक किसी रोग के उभरने के समुद्दिळं संलिहियं जति तेणं आणेति ण भञ्जति, कारण औषधि आदि दिये जाने पर ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org