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पुद्गल के प्रकार ४१९
पुद्गल ३. वर्ण-गंध-रस-स्पर्श के प्रकार
६. बादर-बादर--अग्नि, वनस्पति, पृथ्वी और त्रसवण्णओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया ।
जीवों का शरीर। किण्हा नीला य लोहिया, हालिद्दा सुक्किला तहा ॥ खंधा य खंधदेसा य, तप्पएसा तहेव य । गंधओ परिणया जे उ, विहा ते वियाहिया ।
परमाणुणो य बोद्धव्वा, रूविणो य चउव्विहा ।। सुब्भिगंधपरिणामा, दुब्भिगंधा तहेव य ।
(उ ३६।१०) रसओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया ।
पुद्गल के चार प्रकार-- तित्तकडुयकसाया, अंबिला मधुरा तहा ।। १. स्कन्ध-परमाणु-प्रचय । फासओ परिणया जे उ, अट्टहा ते पकित्तिया । २. स्कन्धदेश-स्कन्ध का कल्पित विभाग। कक्खडा मउया चेव, गरुया लहया तहा ॥ ३. स्कन्धप्रदेश-स्कन्ध से अपृथग्भूत अविभाज्य अंश । सीया उण्हा य निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया । ४. परमाणु-स्कन्ध से पृथक निरंश अंश । इइ फासपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया ॥
स्कन्ध (उ ३६।१६-२०)
एगत्तेण पुहत्तेण. खंधा य परमाणुणो ।" वर्ण की अपेक्षा से पुद्गल की परिणति पांच प्रकार
(उ ३६।११) की होती है--१. कृष्ण २. नील ३. रक्त ४. पीत और
अनेक परमाणुओं के एकत्व से स्कन्ध बनता है और ५. शुक्ल ।
उसका पृथक्त्व होने से परमाणु बनते हैं। ____ गन्ध की अपेक्षा से पुद्गल की परिणति दो प्रकार
परमाणुपुग्गला खलु दुन्नि व बहुगा य संहता संता। की होती है --१. सुगन्ध और २. दुर्गन्ध ।
निव्वत्तयंति
खंधं.......... रस की अपेक्षा से पुद्गल की परिणति पांच प्रकार की होती है.---१. तिक्त २. कट ३. कसला ४. खट्टा
(उनि ३७)
स्कन्ध के दो प्रकारऔर ५. मधुर।
१. द्विप्रदेशी स्कन्ध-दो अणुओं की संहति । स्पर्श की अपेक्षा से पुद्गल की परिणति आठ प्रकार की होती है--१. कर्कश २.मृदु ३. गुरु ४. लघु ५. शीत
२. बहुप्रदेशी स्कन्ध-तीन, चार यावत् अनंत परमाणु६. उष्ण ७. स्निग्ध और ८. रूक्ष ।
पुद्गलों की संहति ।
स्कन्दन्ति-शुष्यन्ति धीयन्ते च--पोष्यन्ते च पद४. पुद्गल के प्रकार
गलानां विचटनेन चेति स्कन्धाः (उशाव प ६७३) पोग्गला छव्विहा, तं जहा-सुहुमसुहुमा सुहमा
जो पुदगलों के विघटन से क्षीण और संघटन से पुष्ट सुहुमबादरा बादरसुहुमा बादरा बादरबादरा। सुहमसुहमा होते है, वे स्कन्ध हैं । परमाणुपोग्गला, सुहुमा दुपएसियाओ आढत्ता जाव सुहुम- देश परिणओ अणंतपएसिओ खंधो, सुहुमबादरा गंधपोग्गला,
देशः त्रिभागचतुर्भागादि। (उचू पृ २८१) बादरसुहमा वाउक्कायसरीरा, बादरा आउक्कायसरीरा
दिश्यते प्रदेशापेक्षया समानपरिणतरूपत्वेऽपि देशाउस्सादीण, बादरबादरा तेउवणस्सइ-पुढवितससरीराणि ।
पेक्षायां असमानपरिणतिमाश्रित्य विशिष्टरूपतया (दजिचू पृ १४२)
विवक्ष्यते- उपदिश्यत इति देश:। (उशाव प ३७२) पुद्गल के छह प्रकार --
प्रदेश की अपेक्षा समान परिणति होने पर भी, देश १. सूक्ष्म-सूक्ष्म-परमाणुपुद्गल ।
की अपेक्षा असमान परिणति के आधार पर जिसकी तीन २. सूक्ष्म-द्विप्रदेशी, त्रिप्रदेशी यावत् अनंतप्रदेशी भाग, चार भाग आदि के रूप में विशेष विवक्षा होती है. स्कंध ।
वह देश है। ३. सूक्ष्म-बादर - गन्ध पुद्गल ।
प्रदेश ४. बादर-सूक्ष्म -वायुकायशरीर ।
प्रदेशोऽसंख्येयतमोऽनन्ततमो वा प्रदेशः । ५. बादरअप्काय जीवों का शरीर, ओस आदि ।
(उचू पृ २८१)
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