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काल
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अद्धाकाल
४. काल का क्षेत्र-काल-भाव "समए समयखेत्तिए ।
(उ ३६७) समय (कालविभाग) समयक्षेत्र-मनुष्यलोक में ही होता है।
समए वि सन्तइं पप्प, एवमेव वियाहिए । आएसं पप्प साईए, सपज्जवसिए वि य॥
(उ ३६९) काल प्रवाह की अपेक्षा अनादि-अनन्त है। एक-एक क्षण की अपेक्षा से वह सादि-सान्त है।
.."अद्धासमए चेव अरूवी ॥ (उ ३६१६)
भाव की अपेक्षा से काल अरूपी है। सूक्ष्म क्या-काल या क्षेत्र ?
अंगुलप्पमाणमेत्ते आगासे जावतिया आगासपदेसा ते बुद्धीए समए समए एगमेगं आगासपदेसं गहाय अवहीरमाणा अवहीरमाणा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणीहि अवहिया भवंति । अतो कालतो खेत्तं सहमतरागं भवति ।
(आवचू १ पृ ४४) अंगूलप्रमाण आकाश में जितने आकाश प्रदेश हैं, उनमें से यदि एक-एक समय में एक-एक आकाश प्रदेश का अवहरण किया जाये तो उस क्षेत्र को खाली होने में असंख्यात उत्सपिणी काल बीत जाएगा। अतः काल से क्षेत्र सूक्ष्मतर है। ५.काल के प्रकार
दवे अद्ध अहाउयं उवक्कमे देसकालकाले य । तह य पमाणे वण्णे भावे पगयं तु भावेणं ।।
(आवनि ६६०) १. द्रव्यकाल-वर्तना आदि । २. अद्धाकाल-सूर्य और चन्द्र द्वारा प्रवर्तित ढाई द्वीप समुद्र में वर्तन करने वाला काल (समय
आदि)। ३. यथायुष्ककाल-देव आदि का आयुष्य । ४. उपक्रमकाल-सामाचारी और यथायुष्क । ५. देशकाल-अभीष्ट वस्तु प्राप्ति का अवसर । ६. कालकाल-मरणकाल । ७. प्रमाणकाल--अद्धाकाल-विशेष, दिवस आदि । ८. वर्णकाल-काला आदि वर्ग । ९. भावकाल-औदयिक आदि भाव ।
६. द्रव्यकाल
सो वत्तणाइरूवो कालो दव्वस्स चेव पज्जाओ। किचिम्मेत्तविसेसेण दव्वकालाइववएसो ॥
(विभा २०२९) वर्तन आदि रूप काल द्रव्य का ही पर्याय है। किंचित् विशेष विवक्षा से द्रव्यकाल, अद्धाकाल आदि का व्यवहार होता है। गइ सिद्धा भवियाया अभविय पोग्गल अणागयद्धा य । तीयद्ध तिन्नि काया जीवाजीवट्टिई चउहा ॥
(आवनि ६६२) चेतन-अचेतन की स्थिति द्रव्यकाल है। चेतन द्रव्यकाल के चार विकल्प
सादि सपर्यवसित-देव, मनुष्य आदि गति सादि अपर्यवसित -सिद्ध अनादि सपर्यवसित-कुछ भव्य जीव
अनादि अपर्यवसित-अभव्य जीव अचेतन द्रव्यकाल के चार विकल्प
सादि सपर्यवसित - पुद्गल सादि अपर्यवसित-अनागत काल अनादि सपर्यवसित-अतीत काल अनादि अपर्यवसित-धर्मास्तिकाय,
अधर्मास्तिकाय और
आकाशास्तिकाय निच्छयनयस्स दव्वपरिणामो चेव कालो भन्नति ।
(आवचू १ पृ ४२) निश्चयनय की दष्टि से द्रव्य का परिणाम ही काल है।
णिच्छयनयस्स पुण ण चेव दवावबद्धातो खेत्तातो कालो अण्णो भवति । जच्चेव सा तस्स दवावद्धस्स खेत्तस्स परिणती सो कालो भण्णति । (आवचू १ पृ४२)
निश्चयनय की दृष्टि से द्रव्य से सम्बद्ध क्षेत्र से काल अन्य नहीं है । जो द्रव्य से अवबद्ध क्षेत्र की परिणति है, वही काल है। ७. अद्धाकाल
अद्धासमयेत्ति अद्धा इति काल: समूहवचनतः तद्विसेस: समयं । अहवा आदिच्चादिधावणकिरिया चेव परिमाण- । विसिट्ठावत्थगता अद्धा एवं काल उभयथावि तस्स समयः ।
(अनुचू पृ ३०)
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