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विकथा के प्रकार
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कथा
स्त्रीकथा
सूत्रों और काव्यों में धर्म, अर्थ और काम-इन इत्थिकहा भत्तकहा रायकहा चोरजणवयकहा य । तीनों का जहां एक साथ निरूपण हो, वह मिश्र कथा है। नडनट्टजल्लमुट्टियकहा उ एसा भवे विकहा ॥ लौकिक (महाभारत आदि), वैदिक (यज्ञक्रिया आदि)
(दनि १०६) और सामयिक (तरंगवती आदि) कथा मिश्र कथा है।
स्त्री, भोजन, राज्य, चोर, जनपद, नाट्य, नृत्य,
जल्ल, नट, मल्ल-इनसे संबंधित कथा करना विकथा ७. कथा के अन्य प्रकार
एता चेव कहातो पण्णवगपरूवर्ग समासज्ज । अकहा कहा व विकहा व होज्ज पुरिसंतरं पप्प ॥
(दनि १०७)
इथिकथा चतुविधा-जातिकथा कुलकथा रूवकथा
नेवत्थकथा। कथाकार और श्रोता के आधार पर कथा के तीन
(आवचू २ पृ८१)
स्त्रीकथा के चार प्रकार हैंप्रकार हैं-~अकथा, कथा और विकथा ।
१. स्त्रियों की जाति की कथा, अकथा
२. स्त्रियों के कुल की कथा, मिच्छत्तं वेदेंतो जं अण्णाणी कहं परिकहेइ । ३. स्त्रियों के रूप की कथा, लिंगत्थो व गिही वा सा अकहा देसिया समए॥ ४. स्त्रियों की वेशभूषा की कथा ।
(दनि १०८)
भक्तकथा मोहाकुल, मिथ्याज्ञानी, अज्ञानी, वेषधारी और
भत्तकधा चतुर्विधा-अतिवावे निवावे आरंभे निद्राणे। गृहस्थ जो कथा करता है, उसे अकथा कहा गया है।
अतिवावे एत्तिया दव्वा सागघतादीए उवउत्ता। निव्वाए विकथा
एत्तिया वंजणभेदादी एत्थ। आरंभे एत्तिलगा तित्तिरजो संजतो पमत्तो राग-द्दोसवसगो परिकहेइ। हिंगुकडुमेंढनेथितदुद्धदहियतंदुला एवमादी । णिहाणे एत्तिसा उ विगहा पवयणे पण्णत्ता धीरपुरिसेहिं ।। एहिं रूवेहिं वेलाए संभत्तं निट्टितं । (आव २ पृ ८१)
(दनि ११०) भक्तकथा के चार प्रकार हैंरागद्वेष के वशीभूत हो जो कथा, चर्चा, आलोचना .. १. आवापकथा-रसोई की सामग्री-घत, साग आदि की जाती है, वह विकथा है।
की चर्चा करना। विरुद्धा विनष्टा वा कथा विकथा।
२. निर्वापककथा-अन्न व व्यञ्जन आदि की चर्चा
(आवहाव २ पृ ६०) करना। कथाविपक्षभूतां त्याज्यां विकथामाह ।
३. आरंभकथा--इस जीमनवार आदि में इतने तित्तिर.
(दहाव प ११४) हिंग, कटुक, मेष आदि तथा इतना दूध, दही और जो कथा के लक्षणों से शून्य है, जिससे संयम में ओदन आवश्यक होगा। बाधा उपस्थित होती है, ब्रह्मचर्य प्रतिहत होता है, उस ४. निष्ठानकथा-अमुक भोज में इतनी सामग्री और वर्जनीय कथा को विकथा कहा जाता है।
इतना धन लगा- इस प्रकार की चर्चा करना । विकया के प्रकार
देशकथा चउहिं विकहाहि-इत्थीकहाए, भसकहाए, देस
देसकथा चतविधा-छंदो विधी विकप्पो नेवत्थो। कहाए, रायकहाए।
(आव ४८)
देसच्छंदो माउलधीता गंमा लाडाणं, गोल्लविसए भगिणी, विकथा के चार प्रकार हैं
मातिसंवित्तिओ विच्चाण गंमा अण्णेसि अगम्मा एमादि । - स्त्रीकथा-स्त्री संबंधी कथा करना।
विधी नाम भोयणविधी विवाहविधी एवमादि। विकप्पो भक्तकथा-भोजन संबंधी कथा करना।
परिसा घरा देवकुलाणि नगरनिवेसा गामादीण एवमादि । देशकथा--देश सबंधी कथा करना।
नेवत्थो इत्थीणं पुरिसाणं साभाविओ विउविओ वा। राज्यकथा-राज्य संबंधी कथा करना।
(आव २ पृ८१)
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