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आभिनिबोधिक ज्ञान
आमिनिबधिक ज्ञानमतिज्ञान, इन्द्रिय और मन के माध्यम से होने वाला
ज्ञान ।
१. आभिनिबधिक ज्ञान
० निर्वाचन
० परिभाषा
• पर्याय
० कालमान
० दृष्टान्त
२. अभिनिबधिक ज्ञान के प्रकार
श्रुतनिश्चित
अश्रुतनिधित
०
o
२. श्रुतनिचित अधूतनिधित की परिभाषा
अधुतनिधित के प्रकार
निधित के प्रकार- अवग्रह, ईहा.....
०
४.
५. अवग्रहचतुष्टयी
० परिभाषा
• उत्पत्ति का क्रम
० कालमान
• अठाईस प्रकार
• तीन सौ छत्तीस प्रकार
६. अवग्रह की परिभाषा
० पर्याय
प्रकार - व्यंजना वग्रह, अर्थावग्रह
७. व्यञ्जनावग्रह
० परिभाषा
० प्रकार
• मलक का दृष्टांत
० ज्ञान या अज्ञान
• चक्षु और मन के व्यंजनावग्रह नहीं
८. अर्थावग्रह
• परिभाषा
० प्रकार
९. ईहा
० परिभाषा
० पर्याय
० प्रकार
०
ईहा अज्ञान नहीं
ईहा और संशय में अन्तर
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१०. अवाय
o
परिभाषा
० पर्याय
० प्रकार
● अवाय औपचारिक अर्थावग्रह
११. धारणा
० परिभाषा
• पर्याय
० प्रकार
१२. अभिनिबोधिकज्ञान हो मतिज्ञान १३. भूतनिरपेक्ष मति हो शुद्ध मतिज्ञान १४. मतिज्ञान का विषय
१५. मति और धुत में भेद श्रुत १६. मति और श्रुत में अभेद १७. मतिपूर्वक श्रुत १८.पूर्वक मति
१९. मतिज्ञान का क्षेत्र
२०. साकारोपयोग और मतिज्ञान
आभिनिबोधिक का निर्वाचन
२१. मतिज्ञान से शून्य जीव
२२. मतिज्ञान का विरहकाल २३. ज्ञान- उत्पत्ति और नय
२४. मतिज्ञान की प्रतिपता प्रतिपद्यमानता
* मतिज्ञान परोक्ष है
* मतिज्ञान स्वार्थिक प्रत्यय
*
मति-भुत और अवधि में साध
*
* मति अज्ञान
*
*
(प्र. अवधिज्ञान) (प्र. अज्ञान )
ज्ञान मतिज्ञान का एक भेद (प्र. श्रुतज्ञान)
चक्षु-अचल दर्शन
(द्र दर्शन)
सम्यक्त्व और ज्ञान की युगपत् उत्पत्ति
१. आभिनियोधिक का निर्वाचन
अभिनिवृत्ति आभिनिवोहियनाणं ।
(प्र. ज्ञान) (द्र. ज्ञान)
(प्र. सम्यक्त्व )
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( नन्दी ३५)
अत्याभिमुो नियओ बोहो जो सो मओ अभिनिवोहो । सो चैवाऽऽभिणिवोहिअं" ॥
( विभा ८० ) अर्थाभिमुखी
प्रतिनियत अर्थ को ग्रहण करने वाला ज्ञान अभिनिबोध है, वही अभिनिवोधिक है।
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