________________
(७०) पवेसणय अन्निधानराजेन्छः।
पवेसणय वं० जाव अहका-एगे वालुयप्पभाए एगे अहे सत्तमाए भाए एगे अहे सत्तमाए होजा । ४ । अहवा-पगे सक्करहोजा । ४ । एवं एकेका पुढवी छहयव्वा० जाव अहवा- प्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा० जाव अएगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा ।।
हवा-एगे सकरपभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहे सत्तमाए " दो भंते ! नेरइए " इत्यादावष्टाविंशतिर्विकल्पाः । तत्रर- होजा । ३ । अहवा-एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए त्नप्रभाऽऽद्याः सप्ताऽपि पृथिवीः क्रमेण पट्टाऽऽदी व्यवस्थाप्या- एगे तमाए होज्जा । अहवा-पगे सकरप्पभाए एगे धूमउक्षसञ्चारणया पृथिवीनामेकत्वद्विकयोगाभ्यां तेचसेयाः।
प्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा । २ । अहवा--एमे सकतत्रैकैकपृथिव्यां नारकद्वयोत्पत्तिलक्षणकत्वे सप्त विकल्पाः। पृथिवीद्वय नारकद्धयोत्पत्तिलक्षणद्विकयोगे त्वेकविंशति
रप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा । १० । अहवारित्येवमष्टाविंशतिः । ( एवं एकेका पुढवी छड्डेयव्य त्ति) एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा । अक्षसञ्चारणाऽपेक्षयेदमुक्तमिति।।
अहवा-एगेवालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा। तिमि भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पवेसमाणा किं
अहवा-एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहे रयणप्पभाए होजा जाव अहे सत्तमाए हाजा । गंगेया !
सत्तमाए होजा । ३ । अहवा-एगे वालुयप्पभाए एगे रयणप्पभाए वा होजा जाव अहवा-अहे सत्तमाए हेाज्जा
धूमप्पभाए एगे तमाए होजा । अहवा-एगे वालुय।७। अहवा-एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा जाव
प्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा । २। अहवा-एगे रयणप्पभाए दो अहे सत्तमाए होजा।६। अहवा
अहवा-एगे वालुयाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा-दो
होजा । १। एवं । ६ । अहवा-एगे पंकाए एगे धमाए रयणप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा । १२ । अहवा-एगे
एगे तमाए होजा। अहवा-एगे पंकाए एगे धमाए एगे अहे सकरप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा-एगे
सत्तमाए होजा। २ । अहवा-एगे पंकप्पभाग एगे तमाए एगे सकरप्पभाए दो अहे सत्तमाए होजा । ५ । अहवा-दो
अहे सत्तमाए होज्जा ।१। एवं ।३। अहवा-एगे धूमप्पभाए सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा-दो
एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा ॥१॥३।०४॥
"तिमि भंते ! नेरइए" इत्यादौ चतुरशीतिर्विकल्पाः। तसक्करप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा।१०। एवं जहा स
थाहि-पृथिवीनामेकत्वे सप्त विकल्पाः। द्विकसंयोगे तु तासाकरप्पभाए वत्तव्बया भणिया, तहा सव्यपुढवीणं भाणि
मेको द्वावित्यनेन नारकोत्पादविकल्पेन रत्नप्रभया सह शेयया जाव अहवा-दो तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा पाभिः क्रमेण चारिताभिलब्धाः षट् द्वावक इत्यनेनाऽपि । ४२। अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे
नारकोत्पादविकल्पेन षडेव, तदेते द्वादश । एवं शर्कराप्रभ
या पञ्च पश्चेति दश । एवं वालुकाप्रभयाऽष्टी, पङ्कप्रभया वालुयप्पभाए होजा । अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे सक्क
षट्, धूमप्रभया चत्वारः, तमःप्रभया द्वाविति । द्विकयोगे द्विरप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा ।१२।० जाव अह्वा-एगे
चत्वारिंशत्रिकयोगे तु तासां पञ्चविंशद्विकल्पाः, ते चाक्षरयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा सञ्चारणगम्याः, तदेवमेते सर्वेऽपि चतुरशीतिरिति । ।। अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंक- चत्तारि भंते ! णेरइया णेरइयपवेसणएणं पवेसमाणा पभाए होज्जा। अहवा-एगे रयणप्पभार एगे वालुयप्पभा- किं रयणप्पभाए होज्जा पुच्छा ? । गंगेया ! रयणए एगे धूमप्पभाए होज्जा, एवं०जाब अहवा-एगे रयण- प्पभाए वा होज्जा०जाव अहे सत्तमाए होज्जा । प्पभाए एगे वालुयाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा। ४ । अहवा-एगे रयणप्पभाए तिमि सक्करप्पभाए होअहवा-एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए ज्जा । अहवा-एगे रयणप्पभाए तिमि चालुयप्पभाए होजाजाव अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा । एवंजाब एगे रयणप्पभाए तिलि अहे सत्तएगे हे सतमाए होजा । ३। अहवा-एगे रयण- माए होज्जा । ६ । अहवा-दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा । अहवा- भाए होज्जा। एवंजाव दो रयणप्पभाए दो अहे सत्तमाए एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पमाए पगे अहे सत्त- होज्जा। ६। अहवा-तिमि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभामाए होजा । २ । अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे तमाए ए होज्जा। एवं जाव०अहवा-तिमि रयणप्पभाए एगे अहे एगे अहे सत्तमाए होजा । १ । एवं । १५ । अहवा- सत्तमाए होला।६।१। अहवा-एगे सकरप्पभाए तिमि वाएगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए हो- लुयप्पभाए होज्जा । एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं जा। अहवा-एगे सक्करप्पभार एगे वालुयाए एगे धूमप्प- संचारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयवं, भाए होज्जा । २। जाव एगे सक्करप्पभार एगे वालुयप्पः । एवं एकेकाए समं चारेयवं० जाव अहवा तिमि तमाए
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org