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(१४८५) अभिधान राजेन्द्रः ।
भवसिद्धिय
भवातिस
दुक्खाणमंत करिस्संति ||२४|| (म०२४ सम०) संनेगइया भवसिद्धिया जीवा जे पणवीसाए भवग्गडणेहिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति सन्वदु
ज्झिस्संति, बुज्झिस्पति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्मंति, सन्दुक्खागमं करिस्सति ॥ ११ ॥ ( स० ११ सम० संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बारसहि भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति, बुझिसति, मुविस्संति, परिनिव्वाइस्संक्खाणमंतं करिस्संति ||२५|| (सम०२५ सम०) संतेगइया ति, सन्दुक्खाणमंतं करिस्वति || १२|| (स० १२ सम० ) संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे तेरसहिं भवग्गह रोहिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्पंति, मुच्चिसंति, परिनिव्वाइस्संति, सन्दुकखाणमंतं करिति ॥ १३ ॥ (स०१३ सम० ) संतगड़ा भवसिद्धिया जीवा जे चउदसहिं भवग्ग हगो हिं, सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संनि मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ १४ ॥ (स० १४ सम० ) संग भवसिद्धया जीवा जे पनरसहिं भवरगहणेहिं सिक्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिच्वाइस्संति, सब्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ।। १५ ।। (स०१५ सम० ) संगइया भवसिद्धिया जीवा जे सोलसहि भवरगहणेहिं सिज्झिमति बुज्भिस्मंति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति, मन्दुकखाणमंतं करिस्संति ।। १६ ।। (स० १६ सम० ) संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे सत्तरसहिं भवग्गहडि मिभिसंति, बुज्झिस्संति, सुविस्संति, परिनिष्यास्नंति, सन्चदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥। १७ (स० १७ सम० ) सं. तेगडया भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठारसहिं भवग्गहहिं सि. ज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनव्वाइस्संति, सन्दुक्खमतं करिम्सति ||१८|| (स०१८ सम०) संतग
भवसिद्धिया जीवा जे एगूणवीसाए भवग्गणेहिं सि झिस्पति, बुज्झिस्संति मुञ्चिस्संति, परिनिव्वाही सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ १६ ॥ ( स० १६ सम० ) संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे वीसाए हासि ज्झिस्संति, बुज्झिस्वंति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्पंति, सन्वदुक्खागणुमंतं करिस्संति ||२०|| (स० २० सप० ) सं तेगइया भवसिद्धिया जीव जे एकत्रीसाए भवग्गह हिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुद्दिवस्संति, परिनिव्वाइस्संति, सन्दुकखाणमंतं करिस्संति ||२१|| (सम० २१ सम० ) संतगड्या भवसिद्धिया जीवा जे बावीसं भवग्गहणेहिं सिकिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिच्वाइस्संति, सन्दुक्खाणमंतं करिस्संति || २२ | (स०२२ सम०) संतेग इया भवसिद्धिया जीवा जे तेवीसाए भवग्गहहिं सिज्झिसंति, बुज्झिस्संति, सुविस्मंति, परिनिच्वाइस्संति, सच्चदुक्खाणमंतं करिस्संति ||२३|| (सम०२३ सम० ) संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे चउबीसाए भवग्गह येहिं सिज्झि स्संति, बुज्झिस्पति, मुस्त्रिस्संति, परिनिव्वइस्संति, सच्च
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भवसिद्धिया जीवा जे छब्बीसहिं भवगडहि सिम्फिस्संति, बुज्झिस्संति, मुबिस्संति, परिनिब्वाइस्संति, सब्बदुक्वाणमंत करिस्सति ||२६|| (स० २६ सप०) संतगइया. भवसिद्धिया जीवा जे सत्तावीसार भवमाहिं सिज्झिस्मंति, बुज्झिस्संति, मुश्चिस्संति, परिनिब्वाइस्संति, सब्युकखाणमंतं करिस्पंति ॥ २७ ॥ ( स० २७ सम० ) संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठावीस भव सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुश्चिस्संति, परिनिच्वाइस्संति, सन्चदुक्खाणमंतं करिस्सति |२८| (स० २= सम०) संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एगूणतीसं भवग्गह रोहिं सिज्झिमति, बुज्झिस्संति, मुबिस्संति, परिनिच्वाइस्संति, सञ्चदुक्खाणमनं करिस्संति | २६ | (०२६ सप० ) संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे तीमाए भग्गहहिं मिज्झिस्पति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्मंति, परिनिव्वाइस्पति सव्यदुदुक्खाणमंतं करिस्मति ॥ ३० ॥ स० ३० स० ) संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे एकतीसंहिं भवग्गहणं हिं सिस्सिंति, बुज्झिस्संति, मुचिस्मंति, परिनिष्या• इस्संति, सव्त्रदुकखाणमंतं करिस्सति ॥ ३१ ॥ ( स० ३१ सम० ) संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बत्तीसाए भव गखेहिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुश्चिस्संति, परिनि व्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ३२ ॥ (स० ३२ सम० ) संतेगइया भवसिद्धिया जीवा के तेत्तीस भवगाहणेर्हि सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, चिरतिं, सन्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ||३३|| (स० ३३ सम० ) । भवाउय भवाधुष्- न० साष्टममात्र काल मु
त इति, तथा भवप्रधानमा धुर्म वायुर्यद्भुत्रात्ययेऽपए भवान्तरमनुयाति यथा देवाऽऽयुरिति । स्था० २ ठा० ३ ० 'भवा उथा। दुबिहा पन्नत्ता । तं जहा- देवाणं चैव नारयाणं चेव ।
भषायुर्भवस्थितिः । प्रायुष्कर्ममेत्रे, स्था० २ ० ४४० । भवाणी भवानी - बी० । भवस्य पत्नी भब जीए अनुकू च । चाय० । शिषपभ्याम्, " दक्खायणी भवाणी, सेलचा प उई उमा गोरी | अजा दुग्गा काली, सिधा य कथ्या यणी खंडी ॥ ३ ॥ " पाइ० ना० ३ गाथा |
भवातिस भवादृश- त्रि० । भवतस्तयेव संस्थानमस्य । भवत्
श - किप् ठक् क्तः वा । " यादृशाऽस्तिः " ॥ ८ । ४ । ३२७॥ इति प्राकृतसूत्रेण पैशाच्यां पाहसाऽऽरेर्ड पश्य
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