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(१५१८) अभिधानराजेन्द्रः।
जीयववहार
जीयववहार
एकाशीतिकस्य नवविधव्यवहारयन्त्रकस्य स्थापना चेयम्
वर्षासु २७
उत्कृष्टापत्नौ
मध्यमापत्ती
जघन्यापत्ती ६।५ गुरुनमम न० उ० १२४।३ गुरुतरम् म० उ० १०२१ गुरु ज० न० गुरुतमम् उ० म. १० गुरुतरम् म० मा ८
गुरु ज०म० गुरुतमम् उ० ज० ८ गुरुतरम् म० ज०६]
गुरु २७॥ लघु
उ० उ० १०/२५ बघुनरम् म. उ० २० लघुतमम् ज० ० लघु उ० म०८ अघुनरम् म० म०
अघुतमम् ज० म० ____४ लघु उ० ज०
लघनगम म० ज० ४ लघुतमम् ज० ज० प्रा० लघुकम उ० न०८/१० लघुकतरम् म० उ० ६५ लघुकतमम् ज० उ० लघुकम उ० म०
लघुकतरम् म. म. ४ लघुकतमम् ज० म० प्रा० लघुकम ३० ज० ४ अघुकतरम् म० ज० प्राचाम्सम लघुकतमम् ज० ज० पकाशनकम्
६
शिशिरे २७ नत्कृष्टापत्ती
मध्यमापत्ती ६।५ गुरुतमम् उ० उ० १०-४।३ गुरुतरम् म. न. गुरुतमम उ० म. ८
गरुतरम् म० म. ६ गुरुतमम न० ज० ६ गुरुतरम् म० ज. २७॥ लघु १० उ० ८ बघुतरम् म. १०६ लघु उ०' म०६
बघुतरम् म० म०४ लघु उ० ज० ४ लघुतरम् म० ज० प्रा० १५ लघुकम् उ० उ०
लघुकतरम् म० उ०४ लघुकम् उ० म०४ लघुकतरम् म० मा भा० - लघुकम् उ० ज० प्रा० लघुकतरम् म० ज० ए०
जघन्यापत्ती २११ गुरु ज० उ. . गुरु. ज० म०
गुरु ज० ज० प्रा० लघुतमम् ज० ० लघुतमम् ज० म० प्रा० लघुतमम् ज० ज० लघुकामम् ज० उ० प्रा० लघुकतमम् ज० म० ए० लघुकतमम् जज) परिमाईम
६।५
२
॥
ग्रीष्मे २७ उत्कृष्टापत्ती मध्यमापत्तो
जघन्यापत्तो गुरुतमम् १० उ० ४ ४।३ गुरुतरम्म
।३ गातरम
० उ०६२।१ गुरु ज० ० गुरुतमम् न० म० गुरुतरम् म. म. ४
ज०म० श्रा गुरुतमम् न० ज०४
गुरुतरम् म० ज० प्रा० गुरु ज० ज०. ए. लघु
बघुतरम् म० उ०४/२० लघुतमम् ज० उ० प्रा० लघु न. म. ४
लघुतरम् मा म० प्रा० लघुतमम् ज० म० लघु उ० ज० श्रा० लघुतरस म० ज० ए० अधुतमम् ज) जा लघुकम् उ. उ. ४१० लघुकतरम् म० उ० प्रा०५ लघुकतमम् ज. न ए लघुकम् उ० म० श्रा. लघुकतरस मा मा पा अघकनमम् ज० मा पु० लघुकम् उ० ज० ए० बघुकतरम् म० ज० पुरिमार्द्धम लघुकतमम् ज० ज० निर्विक
निकम
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