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जैन आगम वनस्पति कोश
भृङ्गसुहृत्, शुक्ल और शाल्योदनोपम- ये सब कुन्द के संस्कृत नाम हैं (धन्व० नि० ५ / १३८ पृ० - २६३ )
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - कुंद, कुंदे का वृक्ष । बं० - कुंद, कुन्दफूल । क० - कुन्द | म० - मोगरा, कस्तूरी मोगरा । गु० - मोगरो । ता० - मल्लिगै, मगरंदम् । ते० - कुन्दमु । ले० - Jasminum Pubescens (जेसमिनम प्यूविसेन्स) ।
वर्णन - यह एक झाड़ीदार पौधा होता है। इसका वृक्ष मोगरे के वृक्ष की तरह होता है। इसके फूल भी मोगरे के फूल की तरह होते हैं मगर खुशबू में उससे कम होते हैं। यह वनस्पति सारे भारतवर्ष में पैदा होती है।
( वनौषधि चन्द्रोदय तीसरा भाग पृ० ६) उत्पत्ति स्थान - यह भारत के अनेक प्रान्तों में विशेषतः बंगाल तथा दक्षिण के पूर्वीय व पश्चिमी घाटियों पर तथा ब्रह्मदेश से चीन तक यह बागों में बोया जाता है । विवरण- इसके क्षुप १० फीट तक ऊंचे होते हैं। कांड व शाखाएं गोल, भंगुर, छाल धूसर वर्ण की, पत्र अभिमुख, लंबगोल, १.५ से ३ इंच लंबे, ३/४ से १.५ इंच चौड़े, नोकदार, चिकने, नीलाभ, हरितवर्ण के, दोनों ओर कोमल एवं रोमश होते हैं। पत्रवृन्त आधइंच से कुछ छोटा सघन रोमश, पुष्पमंजरी में बेला के फूल जैसे किन्तु उससे कुछ लम्बे सुगंधयुक्त किन्तु बेला से सुगंध कम, प्रायः सदैव यह पुष्पित से कुंद को सदापुष्पी कहते हैं। विशेषतः शीतारंभ से बसंत तक इसमें पुष्पों की खूब बहार रहती है। किसी-किसी क्षुप में फल भी ग्रीष्मकाल में आते हैं जो आधा इंच व्यास के तथा पकने पर पीले पड़ जाते
हैं ।
इस कुल (पारिजात) की कई जाति उपजाति हैं । प्रस्तुत कुंद यह बेला (मोगरा) का ही एक भेद है। इसे बेलाकुंभी नाम दिया गया है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० २७२, २७३ )
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कुंदगुम्म
कुंदगुम्म (कुन्दगुल्म) कुंद का गुल्म
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जीवा० ३ / ५८० जं० २/१०
विवरण- इस पारिजाति कुल के रोमयुक्त लतारूप क्षुप १० फीट तक ऊंचा होता है। प्रायः सदैव यह पुष्पित रहने से कुंद को सदापुष्पी कहते हैं । विशेषतः शीतारंभ से वसंत तक इसमें पुष्पों की खूब बहार रहती है। किसी-किसी क्षुप में फल भी ग्रीष्मकाल में आते हैं जो १/४ इंच व्यास के तथा पकने पर काले पड़ जाते हैं। ( धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० २७२, २७३ )
कुंदलता
कुंदलता (कुन्दलता) कुंदलता
जीवा० ३ / ५८४ प० १/३६/१ जं० २ / ११ विमर्श - प० १।३६।१ में कुंद- सामलता यह समासान्त पद है । विग्रह में कुंदलता शब्द है। यद्यपि कुंद का गुल्म होता है परन्तु आरोहणशील होने के कारण इसे लता के रूप में भी निघंटुओं में लिया गया है।
विवरण- इसका गुल्म बड़ा रोमश लतासदृश आरोहणशील होता है ।
(भाव० नि० पृ० ५०४)
कुंदलया
कुंदलया (कुदलता) कुंदलता
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ओ० ११ जीवा० ३ / ५८४ जं० २ / ११ देखें कुंदलता शब्द ।
कुंदु
कुंदु (कुन्दु) कुन्दुरू, लबान ।
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भ० २३/१
कुन्दु के पर्यायवाची नाम
पालङ्क्या कुन्दुरुः कुन्दु, सौराष्ट्री शिखरी वली ।। पालक्या, कुन्दुरु, कुन्दु, सौराष्ट्री, शिखरी, वली ये कुन्दुरु के संस्कृत नाम हैं।
(शा०नि० कपूर्रादिवर्ग पृ०२६)
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - कुन्दुरु, लबान, कुन्दुर, थुस । बं०- कुंदो, कुन्दुरुखोटी । म० - विसेस | फा० - कुन्दुर । अ०
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