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जैन आगम वनस्पति कोश
प्रदेशो में अधिक रोपण किया जाता है। नदियों के किनारे रेतीली भूमि में यह अधिक उत्पन्न होता है।
पत्र
आरोही तंतु
फल
लता की शाखे
फल काट
विवरण- इसकी लता भूमि पर पसरी हुई रहती है । पत्ते इन्द्रायन के पत्तों के समान गहरे कटे किनारे वाले होते हैं। फूल एक इंच के घेरे में गोलाकार होते हैं ।
फल बड़े-बड़े पेठे और कोहडे के आकार वाले होते हैं। गूदी लाल या सफेदी होती है। बीज चिपटे, लाल, भूरे या काले होते हैं ।
(भाव नि० आम्रादिफल वर्ग पृ० ५६० ) मारवाड़ राजपूताना के ये फल बहुत बड़े एवं अच्छे मीठे होते हैं। सिंधु व गुजरात में भी उत्तम तरबूज होते हैं। भारतवर्ष के अतिरिक्त यह अन्यत्र बहुत कम होता है । इसी से यह हिन्दवाना कहलाता है ।
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इसकी एक जाति के फलों का ऊपरी छिलका चित्रित वर्ण का भीतर गूदा पीला, बीज काले होते हैं। एक जंगली जाति भी होती है, जिसे गुजरात में दिल पसंद, सिन्ध देश में मेली, ढेंढसी आदि कहते हैं। ये प्रायः
शाक के ही काम आते हैं। सिन्ध के इस जाति के एक कडुवे तरबूज को किरबुट कहते हैं। यह दस्तावर होता है ।
( धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० ३१५)
कालिंगी
कालिंगी (कालिङ्गी) तरबूज भ० २२ / ६ प० १/४०/१ कालिङ्गिका (ङ्गी) | स्त्री । त्रिवृति, राजकर्कट्याम् । त्रिवृति का अर्थ तरबूज है। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० २६५) कालिंगी। स्त्री। (कालिङ्गी) वल्ली विशेष । तरबूज का (पाइअसद्दमहण्णव पृ० २३६ )
गाछ ।
देखें कालिङ्ग शब्द ।
कासमद्दग
कासमद्दग (कासमर्दक) कसौदी कासमर्द्दः (कः) स्वनामख्यातपत्रशाकविशेषे ।
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कासमर्द्दक के पर्यायवाचीनाम
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प० १/३७/४
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० २६६ )
कासमर्दोऽरिमर्दश्च, कासारिः कासमर्दकः
कालः कनक इत्युक्तो, जारणो दीपकश्च सः ।।१७१ ।। कासमर्द, अरिमर्दः, कासारि, कासमर्दक, काल तथा कनक ये सब कासमर्द के नाम हैं। यह जारण तथा दीपक कहा गया है। (राज० नि०४/१७१ पृ० ६६) अन्य भाषाओं में नाम
हि० - कसौदी, कासिन्दा, चकोडी । बं० - कालका सुन्दा, कालका कसोंदा । म० - कासविंदा । गु०कासोन्दरी । क०-कासबंदी । तै० - गुर्रपुताढ़यां । मला०पोन्नाबीर | पं० - फनछत्र । अंo Negro Coffee Plants (निग्रोकॉफी प्लांटस्) ले० Cassia occidentalis (केसिया ओक्सिडेण्टेलिस) Fam Leguminosae ( लेग्युमिनोसी) ।
उत्पत्ति स्थान - काली कसौंदी का आदि उत्पत्ति स्थान भारतवर्ष ही है। साधारण कसौंदी बाहर से यहां लाई गई है और चारों ओर प्रचुरता से इसने अपना विस्तार कर लिया है। हिमालय से लेकर दक्षिण में सीलोन पर्यन्त तथा पश्चिम बंगाल आदि देशों में प्रायः
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