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जैन आगम : वनस्पति कोश
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देखें 'कणियार रुक्ख' शब्द ।
कलंब कलंब (कलम्ब) कदम्ब, धाराकदम्ब ।
ठा०८/११७/१, भ० २२/३ ओ०६ कलम्बः ।पु० । कदम्बवृक्षे,'शाकनाडिकायाम्, धाराकदम्बे
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० २२७) देखें कदंबशब्द।
कल कल (कल) गोलचना
ठा०५/२०६ भ०६/३०; २१/१५ प० १/४५/१ कला वट्टचणगा
(स्थानांग वृत्ति पत्र ३२७) कल गोलचना को कहते हैं।
विमर्श-भगवती सूत्र, प्रज्ञापना सूत्र और स्थानांग सूत्र में “कल मसूर तिलमुग्ग" आदि पाठ मिलता है। स्थानांग की वृत्ति में कल का अर्थ गोलचना किया है इसलिए यहाँ यही अर्थ दिया जा रहा है।
कलंबुया कलंबुया (कलम्बुका) कलमीशाक। प० १/४६ कलम्बुका। स्त्री। जलजशाकविशेषे । कलमीशाक
(वैद्यकशब्द सिन्धु पृ० २२७)
पूष्पा
mily
'पत्र
कल कल ( ) बडी खेसारी
भ०६/३०; २१/१५ प० १/४५/१ विमर्श-धान्यवर्ग में निघंटुओं में कलायशब्द मिलता है। प्रस्तुत प्रकरण में पाठान्तर में कलाय और कलाव शब्द है। इसलिए यहां कलाय शब्द ग्रहण कर रहे हैं। कला (कलाय) बडी खेसारी
कलायः खण्डिको ज्ञेय स्त्रिपुटः क्षुद्रखण्डिकः ।।६७।।
कलाय का पर्यायवाची खण्डिक और त्रिपुट का पर्याय वाची क्षुद्रखण्डिक है। कैय० नि० धान्यवर्ग. पृ. ३१३
विमर्श-कलाय शब्द को लेकर निघुटुकारों में मतभेद है। धन्वन्तरिनिघंटुकार, भावप्रकाशकार, राजनिघंटुकार और शालिग्रामनिघंटुकार कलाय शब्द का अर्थ मटर करते हैं। कैयदेवनिघंटुकार कलाय का अर्थ खेसारी धान्य करते हैं।
प्रस्तुत धान्य प्रकरण में मटर के लिए सतीण शब्द और चना के लिए पलिमंथ (हरिमंथ) शब्द आया है। इसलिए कलायशब्द का अर्थ खेसारी अर्थ उपयुक्त लगता है। बिहार में कलाय शब्द से खेसारी आज भी प्रचलित है। देखें कलाय शब्द।
लता की
शारव
कलम्बुका के पर्यायवाची नाम
कलम्बी शतपर्वा च। (भाव०नि०शाकवर्ग-पृ० ६६६)
कलम्बी शतपर्वा-ये कलमीशाक के पर्यायवाची संस्कृतनाम है।
कलंबिका स्थूलफला, मद्यगन्धा, कटभरा ।।६६०।। कलंबिका, स्थूलफला, मद्यगन्धा, कटंभरा ये
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