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जैन आगम : वनस्पति कोश
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विवरण-शाक वर्ग एवं अपने वस्तूक कुल का यह वरक के पर्यायवाची नामएक प्रधान पत्रशाक है।
वरक: स्थूल कंगुश्च, रूक्षः स्थूलप्रियंगुकः । (धन्व० वनौ० विशेषांक भाग ४ पृ० ४२६) वरक, स्थूल कंगुरूक्ष और स्थूल प्रियंगु ये सब देखें वत्थुआ शब्द।
वरक के पर्याय वाची नाम हैं।
(शा०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६३८) वर
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-चीना, चिन्ना, चैना । बं०-चिने । म०-वरिवव । वर (वरक) चीनाधान्य, कंगुभेद प० १/४५/२ ग०-चीणे, चीणा। कo-बरगु। ता०-पनिवरगु। वरकः ।पुं। प्रियङ्गुनामकतृणधान्ये। वनमुद्गे।।
ते०-वरिगुल । अ०-Indian Millet (इण्डियन मिलेट)। पर्पटके। हस्वबदरीफले। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६३७)
ले०-Panicummiliaceum Linn (पेनीकम मिलिएसिअम) Fam. Gramineae (ग्रेमिनी)।
उत्पत्ति स्थान-सभी स्थानों पर इसकी खेती की जाती है।
विवरण-यह शीघ्र होने वाला क्षुद्र धान्य है। क्षुप सीधा, वर्षायु एवं १८ से २४ इंच ऊंचा होता है । पत्ते पतले. रेखाकार तथा पर्व को घेरे रहते हैं। पुष्पव्यूह अनेक शाखायुक्त तथा शाखाग्र पर शूचिकायें एक या दो-दो रहती हैं। अंतिम या चतुर्थ वुसपत्र पर पुष्प रहता है, जो धान्य में परिवर्तित हो जाता है। धूसर पीले चमकीले, हल्के पीले आदि रंगों के भेद से यह कई प्रकार का होता है।
(भाव०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६५७)
(गाली
PICS मूल
वरा वरा (वरक) चीनाधान्य, कंगु का भेद
भ०२१/१६
देखें वर शब्द।
विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में वर शब्द औषधि वर्ग (धान्य नाम) के अन्तर्गत है । धान्यवाची शब्दों में वर शब्द
वाइंगण नहीं मिलता वरक शब्द मिलता है इसलिए वर शब्द की वाइंगण (वातिकुण, बेंगना) बैंगन प० १/३७/१ छाया वरक की है। वरक शब्द के ऊपर चार अर्थ हैं। बेंगना के पर्यायवाची नामप्रियंगु और वनमुद्ग ये दो अर्थ धान्य के लिए ग्रहण किए अंगना, वरा, भटाकी, चित्रफला, दीर्घवर्तकी, हिंगुली, जा सकते हैं। वनमुद्ग आया हुआ है इसलिए प्रियंगु कंटालू, कण्टपत्रिका, बेंगना, वर्तका, वार्ताकू, वृत्तफला । (चीना धान्य) अर्थ ग्रहण कर रहे हैं।
(वनौषधि चंद्रोदय सातवां भाग प० ६३) अन्य भाषाओं में नाम
हिo-भंटा, बैगन, बैगुन । बं०-बेगुन म०-वांगे,
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