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जैन आगम : वनस्पति कोश
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जसमूह
शारव
बन्धजीवक के पर्यायवाची नाम
बत्थुलगुम्म मध्याह्निके ज्वरघ्नश्च, सुपुष्पो बन्धुजीवकः।
बत्थुलगुम्म (वास्तुकगुल्म) बथुआ का गुल्म कोरण्टश्चाथ बंधूको, हरिप्रियः सुपुष्पकः ।।६८६ ।।
जीवा०३/५८०, जं०२/१० मध्याह्निक, ज्वरघ्न, सुपुष्प, बन्धुजीवक, कोरण्ट, बन्धूक, हरिप्रिय और सुपुष्पक ये मध्याह्निक के पर्याय हैं।
(सोढल०नि० 1 ६८६ पृ०७६) अन्य भाषाओं में नाम
हिo-दुपहरिया, गोजुनियां । बं०-बान्धुलि, फुलेर गाछ । म०-दुपारी चे फूल । गु०-बेपोरियो ।क०-बंदुरे। ता०-नागपू। पं०-गुलदुपहरिया। तै०-नितिमल्ली, मकिनचेटु, बेगसिन चे? । ले०-Pentapetes phoeniceae linn (पेन्टापेटिस् फीनीसिया) Fam. Sterculiacea
समूह (स्टक्युलिएसी)।
उत्पत्ति स्थान-यह उत्तर पश्चिम भारत, बंगाल तथा गुजरात में पाया जाता है। सभी भागों में बागों में लगाया भी जाता है। यह प्रायः जलाशयों में तथा चावल के खेतों में होता है।
विवरण-इसका क्षप२.से ५ फीट ऊंचा होता है। पत्ते ३ से ५ इंच लम्बे, प्रासवत तीक्ष्ण दन्तुर अथवा गोल अभ्यारावत् तथा केवल एक शिरावाले होते हैं | पुष्प लाल रंग के बड़े तथा दंड पर दो-दो एक साथ नीचे की तरफ
___ विवरण-शाकवर्ग एवं अपने वास्तुक कुल का यह लटके रहते हैं। दोपहर के समय खिलने से इसे गुल
एक प्रधान पत्रशाक है। इसके १ से ३ फुट ऊंचे क्षुप के दुपहरिया कहते हैं। फल कुछ लम्बा गोल, खुरदरा तथा
पत्र आकार में छोटे-बड़े त्रिकोणाकार नुकीले, कई पांच विभागों से युक्त, जिनमें प्रत्येक में ८ से १२ बीज ।
प्रकार के कटे हुए, स्थूल, स्निग्ध, हरितवर्ण के, ४ से रहते हैं। पुष्पकाल-जुलाई में बीज बोने से सितम्बर ६ इच लम्बे होते है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ४ पृ०४२६६) अक्टुबर तक फूलता है। (भाव०नि०पुष्पवर्ग०पृ०५०६)
बदर बंधुजीवग बदर (बदर) बेर
प०१/३७/२ बंधुजीवग गुम्म (बन्धुजीवक गुल्म) दुपहरिया का बदर (कः) पुं० क्ली० । बृहत्कोलीवृक्षे, राजबदरे। गुल्म जीवा०३/५८० ज०२/१०
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ. ७२२)
विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में बदर शब्द गुच्छ वर्ग के विमर्श-इसका क्षुप २ से ५ फीट ऊंचा होता है।
अन्तर्गत है। बेर के पुष्प गुच्छों में आते हैं इसलिए यहां बदर का बेर अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। बदर के पर्यायवाची नाम
फेनिलं, कुवलं घोण्टा सौवीरं बदरं महत्।।
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