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उत्पत्ति स्थान -प्याज की खेती प्रायः सब प्रान्तों
में की जाती है
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प्याज
Allium cepa Linn.
विवरण- इसका पौधा हाथ, डेढ़ हाथ, ऊंचा होता है। पत्र दो कतारों में तथा पुष्पदंड से छोटे होते हैं। इनके बीच से दंड निकलता है। इसके ऊपर लट्टू के समान गोल गुम्मजदार गुच्छों में सुहावने हरापन लिये सफेद फूल लगते हैं। इनमें से तिकोने काले बीज निकलते हैं। इसके नीचे जो कंद बैठता है उसी को प्याज कहते हैं। किंचित् गुलाबी और सफेद रंगों के भेद से प्याज दो जाति का होता है। दोनों के पौधे एक समान होते हैं।
(भाव० नि० हरीतक्यादिवर्ग. पृ. १३५)
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पलंदू
पलंदू (पलाण्डु) प्याज देखें पलंडू शब्द |
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क्षुप
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उत्त० ३६/६७
जैन आगम वनस्पति कोश
पलास
पलास ( पलाश) ढाक
ठा० १०/८२/१ भ० २२/२ प० १/३५/१ पलाश के पर्यायवाची नाम
किंशुको वातपोथश्च, रक्तपुष्पोथ याज्ञिकः । त्रिपर्णो रक्तपुष्पश्च, पुतद्रु ब्रह्मवृक्षकः । 198८ ।। क्षारश्रेष्ठः पलाशश्च, बीजस्नेहः समीवरः ।। किंशुक, वातपोथ, रक्तपुष्प, याज्ञिक, त्रिपर्ण, रक्तपुष्प पूत, ब्रह्मवृक्षक, क्षार श्रेष्ठ, पलाश, बीजस्नेह और समीवर ये किंशुक के पर्याय हैं।
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(धन्व० नि० ५०४८ पृ० २६७) अन्य भाषाओं में नाम - हि० - ढाक, पलाश, परास, टेसू । बं० - पलाशगाछ । म० - पलस | गु० - खाखरो | मु० - खाकरो | क० - मुत्तगु । ते० - मोदुग | ता० - पलासु । अंo - The forest flame (दि फोरेस्ट फ्लेम) । ले०- Butea frondosakoen, ex. Foxb (व्यूटिया फ्रॉन्डोसा) Fam leguminosal (लेग्युमिनोसी) ।
उत्पत्ति स्थान - यह अत्यन्त शुष्क भागों को छोड़ कर प्रायः सब प्रान्तों में पाया जाता है। और इसका वाटिकाओं में भी रोपण करते हैं।
विवरण- इसके वृक्ष छोटे या मध्यम ऊंचाई के होते है तथा समूहों में रहते हैं । पत्ते त्रिपत्रक होते हैं। पत्रक १० से २० से. मी. चौड़े, कर्कश, ऊपर से कुछ चिकने किन्तु नीचे मृदुरोमश तथा उभरी हुई शिराओं से युक्त, होते हैं । अग्रपत्रक तिर्यगायताकार वृन्त की तरफ कुछ पतला या अभिअंडाकार, कुण्ठिताग्र या खण्डिताग्र एवं बगल के तिर्यक् अंडाकार होते हैं। पुष्प बड़े सुंदर, नारंग रक्तवर्ण के होते हैं, जो प्रायः पत्र हीन शाखाओं पर एक साथ बहुत होते हैं। स्वरूप में ये दूर से सुग्गे की चोंच की तरह मालूम होने से इसे किंशुक कहा जाता है। फली १२५ से २०x२५ से से.मी. बड़ी अग्र की तरफ एक बीज युक्त होती है। बीज चिपटे वृक्काकार २५ से ३८ मि. मी. लम्बे, १६ से २५ मि.मी. चौड़े, १५ से २ मि.मी. मोटे रक्ताभ भूरे चमकीले, सिकुड़नयुक्त स्वाद में कुछ कटु एवं तिक्त तथा गंध हलकी होती है। इसका गोंद होता है (भाव०नि० वटादिवर्ग० पृ० ५३६ )
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