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जैन आगम : वनस्पति कोश
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SAPAN
पत्र
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६३१)
(एरॅसी)। विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में पउय शब्द कंदवर्ग के उत्पत्ति स्थान-एशिया खंड का मध्यमभाग तथा शब्दों के साथ है इसलिए यहां ऊपर के पांच अर्थों में । पूर्वी यूरोप के आनूपदेशों में तथा भारत के युक्तप्रांत के वचा अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। वच के कंद होते हैं। सजल दलदल एवं रेतीले स्थानों में, आसाम, मनीपर
नागापहाड, काश्मीर, वर्मा तथा सीलोन में प्रायः सर्वत्र
नैसर्गिक होते हैं तथा बोई भी जाती है। ACORUS CALAMUS LINN:
विवरण-हरीतक्यादि वर्ग एवं सूरणकुल के इस सदैव हरित ३ से ५ फीट ऊंचे, आड़ी टेढ़ी शाखा युक्त, क्षुप के पत्र मूल स्थान से उत्पन्न अभिमुख, चिकने चमकीले, हरे नोकदार ईख या बाजरे के पत्र जैसे ३ से ६ फुट लंबे, ३/४ से १.२५ इंच चौड़े किनारे, तरंगदार, मध्य में मोटे होते हैं। पुष्प इसका पीताभ श्वेत वर्ण का, पुष्पकोश बाह्य आच्छादन युक्त होने से स्पष्ट दिखलाई नहीं देता। यह पुष्पकोश ६ से ३० इंच लंबा, १/४ इंच व्यास का तथा मंजरी पुष्पकोश के भीतर २ से ४ इंच लंबी, आधा पौन इंच व्यास की, किंचित् मुडी हुई, एवं परागकोष पीला होता है। फल त्रिकोणाकार, शुण्डाकार, पार्श्वयुक्त, दो खंड वाला, मांसल एवं बहुबीज युक्त होता
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२
भन्द
___ मूल या कंदभूमि में अदरक जैसा प्रसरणशील, मध्यमांगुलि जैसा स्थूल, खुरदरा, ५ से ६ पर्ववाला (षड्ग्रन्थ) या अनेक पर्वयुक्त (जटिला), अरुणवर्ण का उग्रगंधी होता है। वर्षाकाल में फूल तथा पश्चात् फल आते हैं। इसकी मल को ही वच कहते हैं तथा यही औषधि कार्य में ली जाती है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ४ पृ० ३६५)
वच के पर्यायवाची नाम
वचोग्रगन्धा षड्ग्रन्था, गोलोमी शतपर्विका। क्षुद्रपत्री च मङ्गल्या, जटिलोग्रा च लोमशा।
वचा, उग्रगन्धा, षड्ग्रन्था, गोलोमी, शतपर्विका नाम वच के हैं। (भाव०नि० हरीतक्यादिवर्ग० पृ० ४३) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-वच, घोरवच, घोड़वच। बं०-वच। म०वेखण्ड। ते०-वासा, वस। गु०-वज, घोडावज | क०-वजे। ता०-वशाम्बु । मला०-व्वयम्प। गोमा०येखण्ड। पं०-बरिबोज । फा०-सोसनजर्द, अगरितुर्की। अ०-उदल बुज, अकरुन, बज, बिजरु। य०-अकन। अं०-Sweet Flag (स्वीट फ्लॅ ग) ले०-Acorus Calamus Linn (एकोरस् कॅलॅमस् लिन०) Fam. Araceae
पउल पउल (पंगुल) बिदारी आदि भ० २३/- प०१/४८/६ पङ्गुलः ।पुं। एरण्डवृक्षे, विदर्यादिः
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६२५) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में पउल शब्द कंदवर्ग के शब्दों के साथ है। बिदारी कंद होता है इसलिए बिदारी अर्थ ग्रहण कर रहे हैं।
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