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जैन आगम : वनस्पति कोश
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तैयार करने वाले व्यापारी लोग लिया करते हैं। वृक्ष की छाल चमडा रंगने के काम में आती है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० ३८०) देखें तिंदु शब्द।
तेंदुस तेंदुस ( ) तेंदु का वृक्ष।
देखें तिंदु शब्द ।
ले०-EuphorbiaDracunculoidesLamयूफोर्बिआ डकन्क्यु लॉईडिस्लैम Fam. Euphorbiaceae (यूफोब्रिएसी)।
उत्पत्ति स्थान-जव आदि के साथ खेतों में ही इसके क्षुप अधिकतर पाये जाते हैं।
विवरण-इसके क्षुप एकवर्षायु प्रायः ४ से ८ इंच ऊंचे, चिकने तथा सामान्यतः धसरवर्ण के होते हैं। इसमें पीताभ क्षीर होता है। शाखायें प्रायः द्विविभक्त क्रम में निकली हुई रहती हैं। पत्ते अभिमुख (नीचे कुन्तल) अवृन्त, रेखाकार, प्रासवत् या रेखाकार आयताकार और .७ से २ इंच लंबे होते हैं। पुष्प पुष्पाकार व्यूह एकाकी और द्विविभक्त काण्ड के बीच में होते हैं।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० ४१०)
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३१२)
प० १/४८/४८
तेतली तेतली ( ) तितली बूटी। भ० २२/१
विमर्श-तेतली शब्द हिन्दी भाषा का शब्द है। संभवतः यह तितली बूटी होना चाहिए। संस्कृत भाषा में तेतली शब्द नहीं मिलता है।
रण-यह बटी चना के पौधों के समान होती है, तथा चना जो, गेहूं के खेतों में साथ ही उगती और आषाढ तक बनी रहती है। पुष्प कुछ पीताभ, पत्र चने या छोटी नुनिया के पत्र जैसे; फल अण्डी के समान, तीन बीजों के कोष में आते हैं।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० ३४१)
तेयली गयी। __) तितली, सातला
प० १/४३/१ देखें तेतली शब्द।
तेतली तेतली ( ) तितली।
भ० २२/१ विमर्श-तितली शब्द हिन्दी भाषा का शब्द है। संस्कृत भाषा में इसके लिए सप्तला शब्द है। सप्तला के पर्यायवाची नाम
शातला सप्तला सारा, विमला विदुला च सा। तथा निगदिता भूरिफेना चर्मकषेत्यपि।।
शातला, सप्तला, सारा, विमला, विदुला, भूरिफेना और चर्मका ये सब संस्कृत नाम शातला के हैं।
(भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ०३१०) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-जायची, तितली। संथा०-परवा। ब०छागल पुपटी, जायची। पं०-कंगी। मद्रा०-तिल्लाकाड।
त्थिभग त्थिभग (स्तबक) स्तबक कंद, गुच्छाह्वकंद।
प०१/४८/१ स्तबक के पर्यायवाची नाम
गुच्छाहकन्द स्तवकाहकंदको। गुलुच्छकन्दश्वविघण्टिकाभिधः ।।११८ ।।
गुच्छाह्वकंद, स्तवकाह्वकंद, गुलुच्छकंद तथा विघण्टिकाकंद ये सब गुच्छाह्वकंद के नाम हैं।
(राज०नि० ७/११८ पृ० २०६) अन्य भाषाओं में नाम
म०-कुलीहाल | कo-मुकुन्लियागड्डे । तैलसारू इति लोके ।
थिहु
त्यह .
प० १/४८/१ विमर्श-उपलब्ध निघंटुओं तथा आयुर्वेद के कोशों
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