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जैन आगम : वनस्पति कोश
(नीलोत्पल) के पर्याय हैं।
(धन्व०नि०४/१३२ पृ०२१७)
ताल ताल (ताल) ताल, ताड भ०२२/१ओ०६/प०१/४३/१ ताल के पर्यावाची नाम___तालो ध्वजद्रुमः प्रांशुदीर्घस्कन्धो दुरारुहः ।।
तृणराजो दीर्घतरु लेख्यपत्रो द्रुमेश्वरः ।।६१।।।
ताल, ध्वजद्रुम, प्रांशु. दीर्घस्कन्ध, दुरारुह, तृणराज, दीर्घतरु, लेख्यपत्र, द्रमेश्वर ये ताल के पर्यायवाची हैं।
(धन्व०नि०५/६१ पृ०२३७) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-ताड़, ताल, तार | बं०-ताल। म०-ताड़। ता०-पनैमरम । कo-तालिमारा । तेल-ताति । गु०-तड। फा०-ताल । अ०-तार । अं0-The Palmyra Palm (दी पामिरापाम)। ले०-Borassus flabellifer linn (बोरेसस् फ्लेबेलिफेर) Fam. Palmae (पामी)।
उत्सेधयुक्त, पत्रकाण्ड से निकले हुए ४ से ५ हाथ, लम्बे, ३ से ६ इंच चौड़े, पत्रदंड पर पत्र पंखाकार, ५ से ६ फुट लम्बे, उभरी हुई मोटी शिराओं से युक्त, चिमड़े, कड़े, धारीदार किनारी वाले । पुष्प वसंत ऋतु में, कोमल, गुलाबी व पीले रंग के, एक लिंगी, पुंजाति में अमलतास की फली जैसे लम्बगोल जटा या बालों के ऊपर ही ये पुष्प आते हैं। ये मोटी जटायें ही पुष्प दंड है। फल शरद ऋतु में, स्त्री जाति के वृक्षों के उक्त पुष्प दंड पर पुष्पों के स्थान पर नारियल जैसे १५ से २० फल, गोलाकार, कड़े, कृष्णाभ धूसर, पकने पर पीताभ हो जाते हैं। कोमल कच्ची दशा में फलों के भीतर कच्चे नारियल के दुधिया पानी के समान पानी होता है। पकने पर भीतर का गुदा सूत्रबहुल रक्ताभ पीत मधुर होता है। बीज प्रत्येक फल में अंडाकार कुछ चपटे, कड़े १ से ३ बीज होते हैं ये फल प्रायः वर्षाकाल में पकते हैं।
जिस प्रकार खजूर वृक्ष से नीरा नामक रस प्राप्त किया जाता है वैसे ही ताड़ वृक्ष से ताडी नामक रस प्राप्त होता है। स्त्री जाति के वृक्ष से नारी जाति की अपेक्षा १.५ गुनी अधिक ताड़ी प्राप्त होती है। प्रत्येक वृक्ष से कम से कम ७ सेर तक ताड़ी प्राप्त होती है। प्रत्येक वृक्ष ६० से ७० वर्ष तक इस प्रकार प्रवित होता रहता है। इस नाड़ी में १३ से १५ प्रतिशत शर्करा होती है। अतः इसकी गुड़, शर्करा दक्षिण भारत में अत्यधिकप्रमाण में बनाई जाती है। वृक्ष के उगने के बाद १० से १५ वर्ष के बाद इसमें फल आते हैं। इसकी आयु ६० वर्ष की मानी गई है। वह अपने आयु काल में एक ही बार फलता है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ०३२१,३२२)
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उत्पत्ति स्थान-यह प्रायः सभी स्थानों पर विशेषकर शुष्कप्रदेशों में पेनिनसुला के तटीय प्रदेशों, बंगाल तथा बिहार में होता है।
विवरण-फलवर्ग एवं नारिकेल कुल के इस शाखाहीन, सीधे वृक्ष की ऊंचाई ६० से ७० फुट, काण्ड स्थूल, गोल, २ से ३ फुट व्यास का, खुरदरा, काला,
तिंदु तिंदु (तिन्दु) तेंदु,
गाभ प०१/३६/१ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में तिंदु शब्द बहुबीजक वर्ग के अन्तर्गत है। तेंदु के बीज ४ से ८ तक होते हैं। तिन्दु के पर्यायवाची नाम
स्फुर्जकः, कालस्कन्धः, शितिसारकः स्फूर्जकः, केन्दुः, तिन्दुः तिन्दुलः, तिन्दुकी, नीलसारः, अतिमुक्तकः, स्वर्यकः, रामणः, स्फुर्जनः, स्पन्दनाह्वयः, कालसार:
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