________________
142
जैन आगम : वनस्पति कोश
तंबोली तंबोली (ताम्बूली) पान
जीवा०३/२६६ ताम्बूली के पर्यायवाची नाम
ताम्बूलवल्ली ताम्बूली, नागिनी नागवल्लरी। ताम्बूलं विशदं रुच्यं, तीक्ष्णोक्ष्णं तुवरं सरम् ।।११।।
ताम्बूलवल्ली, ताम्बूली, नागिनी, नागवल्लरी और ताम्बूल ये संस्कृत नाम पान के हैं। (भाव०नि०पृ०२७२) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-पान। बं०-पान। म०-नागवेल, विड्याचेपान। तेल-तमालपाकु। ता०-वेत्तिलै । गु०-नागरबेल। मा०-नागरबेल। मला०-वेत्तिल । फा०-तंबोल, वर्गे तम्बोल। अ०-तंबूल । अंo-Betel leaf (विटल लीफ)। ले०-Piper Betel linn (पाइपर वीट लिन०) Fam. Piperaceae (पाइपरेसी)।
बड़े, चौड़े, अंडाकार, कुछ हृदयाकृति, कुछ लंबाग्र, प्रायः ७ शिराओं से युक्त, चिकने, मोटे एवं करीब १ इंच लम्बे पर्णवृन्त से युक्त रहते हैं। पुष्प अवृन्त काण्डज पुष्पव्यूहों में आते हैं। फल करीब दो इंच लम्बे, मांसल, लटकते हुए व्यूहाक्ष में छोटे-छोटे बहुत फल रहते हैं। पान में मनोहर गंध रहती है तथा इसका स्वाद कुछ उष्ण एवं सुगंधयुक्त रहता है।
इसके खेत की जमीन बीच में ऊंची और दोनों किनारे नीची होती है। इससे खेते में पानी नहीं ठहरता। धूप और पाले से बचाव के लिए खेत के चारों ओर फूस की दीवार और छाजनी बना देते हैं।
खेते के भीतर क्यारी बनाकर फरहद, जियल इत्यादि की डालियां लगा देते हैं। इन्हीं के सहारे
पान की बेल फैलती है। बंगला, सांची, महोवा, माराजपुरी, विलोआ, कपुरी, फुलवा इत्यादि नामों से इसकी कई जातियां होती हैं। (भाव०नि०पृ०२७२)
HARA
MAN
AL
XII
तक्कलि तक्कलि (तर्कारि) गणिकारिकावृक्ष, अरणी
भ०२२/१ प०१/४३/१ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में तक्कलिशब्द वलयवर्ग के अन्तर्गत है। अरणी की छाल होती है इसलिए यहां अरणी अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। तेलगु भाषा में अरनी का नाम तक्किली चे? है।
(वनौषधि चंद्रोदय भाग १ पृ०७६) तर्कारि के पर्यायवाची नाम
अग्निमन्थो जयः स स्याच्छ्रीपर्णी गणिकारिका। जया जयन्ती तारि नादेयी वैजयन्तिका।।२३।।
अग्निमंथ, जय, श्रीपर्णी, गणिकारिका, जया, जयन्ती, तर्कारि नादेयी और वैजयन्तिका ये सब संस्कृत नाम अगेथु या अरनी के हैं।
(भाव०नि०गुडूच्यादि वर्ग पृ०२८१) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-अरनी, अरणी, गणियारी,रेन, गनियल। म०-टांकला, थोर, टाकली, नरवेल, एरण | गु०--अरणी, एरण । बं०-गनिर, आगगन्त, भत विरखी। ते०-तक्किली
उत्पत्ति स्थान भारतवर्ष, लंका एवं मलयद्वीप के उष्ण एवं आर्द्रप्रेदशों में इसकी खेती की जाती है।
विवरण-इसकी मूलारोहणी लता-अत्यन्त सुहावनी और कोमल होती है। कांड-अर्धकाष्ठमय, मजबूत तथा गाठों पर मोटा रहता है। पत्ते पीपल के पत्तों के समान,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org