________________
110
जैन आगम : वनस्पति कोश
अपुष्प फलवानाम्रः, पुष्पित श्थूत उच्यते।।
उत्पत्ति स्थान-यह सब प्रान्तों के खेत, मैदान, पुष्पैः फलैश्च संयुक्तः, सहकारः स उच्यते।। झाडी, खण्डहर, सड़क के किनारे आदि गन्दी जमीन
पुष्परहित फल वाले वृक्ष को आम्र, फलरहित में उत्पन्न होती है। शिमले में ५००० फीट ऊंची भूमि पर पुष्पित वृक्ष को चूत, तथा फल, फूल से युक्त को सहकार भी पाई जाती है। कहते हैं। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग १ पृ० ३३४) विवरण-सत्यानाशी क्षुप जाति की वनस्पति २ से
विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में चूतलता शब्द है। ऊपर ४ फीट तक ऊंची, अनेक शाखाओं से युक्त सघन होती की परिभाषा के अनुसार फल रहित पुष्पित वृक्ष को चूत है। इसके क्षुप पत्ते, फल इत्यादि पर तीक्ष्ण कांटे होते कहा गया है। संभव है ऐसी स्थिति में चूत को लता मान हैं। डण्डी और पत्तों को तोड़ने से पीला दूध निकलता लिया गया हो। इसीलिए चूत शब्द के साथ लता शब्द है। पत्ते ३ से ७ इंच तक लंबे, कटे हुए, तीक्ष्ण कंटीले, का प्रयोग हुआ है, आमवाची अन्य शब्दों के साथ नहीं। नोक वाले, सफेद धब्बों से युक्त तथा रेशेवाले होते हैं।
फूल कटोरीनुमा चमकीले पीले रंग के आते हैं और वे चूयलया
खुले मुख होते हैं। फल लम्बे तथा गोल होते हैं और उनसे
राई के समान काले रंग के बीज निकलते हैं। वैशाख, चूयलया (चूतलता) चूत की लता
ज्येष्ठ की गरमी से इसका क्षुप सूख कर नष्ट हो जाता
ओ० ११ जीवा ३/५८४ देखें चूतलता शब्द।
है। फल के सूखने पर बीज भूमि पर गिर जाते हैं और वे ही शरद्ऋतु में अंकुरित हो पौधे के रूप में परिणत
हो जाते हैं। इसकी जड़ का नाम 'चोक' है। चोय
(भाव० नि० हरीतक्यादि वर्ग पृ० ६६) चोय (चोक) सत्यानाशी की जड़। रा० ३० जीवा० ३/२८३
चोरग कटुपी हैमवती, हेमक्षीरी हिमावती।।
चोरग (चौरक) सूक्ष्मपत्रशाक। प० १/४४/३ हेमावा पीतदुग्धा च, तन्मूलं चोकमुच्यते ।।१७६ ।।
चौरक के पर्यायवाची नामकटुपर्णी, हैमवती, हेमक्षीरी, हिमावती, हेमाह्वा
सूक्ष्मपत्र स्तीक्ष्णशाको, धनुःपुष्पः सुबोधकः । और पीतदुग्धा ये सब सत्यानाशी के नाम हैं और इसी
चौरकः कफवातघ्नः, सुतीक्ष्णो नातिपित्तलः ।।५६ ।। के जड़ भाग को चोक कहते हैं।
सूक्ष्मपत्र, तीक्ष्णशाक, धनुःपुष्प, सुबोधक, चौरक (भाव० नि० हरीतक्यादि वर्ग पृ० ६६)
ये सूक्ष्मपत्र के नाम हैं। सूक्ष्मपत्र कफवात को नाश करता अन्य भाषाओं में नाम
है, बहुत तेज है और अत्यन्त पित्तल नहीं है। . हि०-सत्यानाशी, पीलाधतूरा, फरंगीधतूरा,
(मदन०नि० शाकवर्ग ६/५६)। उजरकांटा, सियालकांटा, भडभांड, चोक। बं०
विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण प्रज्ञापना १/४४/३ में चोरग सोनाखिरणी, शियाल कांटा, बडो सियाल कांटा।
शब्द हरितवर्ग के अन्तर्गत है। इसलिए सूक्ष्मपत्र शाक मं०-कांटे धोत्रा गु०-दारुडी। क०-अरसिन उन्मत्त।
___ अर्थ उपयुक्त है। ता०-ब्रह्मदण्डु, कुडियोट्टि. कुरुक्कुम चेडि। ते०-ब्रह्मदण्डी चेटु। पं०-कण्डियारी, स्यालकांटा भटमिल, सत्यनशा, भटकटेया । सन्ता०-गोकुहल जानम। मला०-पोन्नुम्मत्तम् । उडि०-कांटाकुशम | अंo-Mexican चोरग (चोरक) स्पृक्का, लंकोईकपुरी। Poppy (मेक्सिकन पॉप्पी) Prickly Popply (प्रिक्ली पॉप्पी)
प० १/४४/३ ले०-Argemone mexicana Linn (आर्जिमोन् मेक्सिकाना)।
चोरग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org