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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 93 कोशाम्र के पर्यायवाची नाम १से 3 चिकने तथा लम्बगोल चिपटे होते हैं। इस पर क्षुद्राम्रः स्यात् कृमितरु लाक्षावृक्षो जतुद्रुमः ।। लगी हुई लाख बहुत उत्तम मानी जाती है। बीज की सुकोशको धनस्कन्धः, कोशाम्रश्च, सुरक्तकः ।।६।। गुदि तथा बीजचोल खाये जाते हैं। इसकी छाल मोटी कृमितरु, लाक्षावृक्ष, जतुद्रुम, सुकोशक, मुलायम, बाहर से धूसर, खुरदरी तथा भीतर से फीके धनस्कन्ध, कोशाम्र और सुरक्तक ये कोशाम्र के पर्याय लालरंग की होती है। तोड़ने से भग्न छोटा होता है। स्वाद कुछ कषाय तथा गंध हलकी। कलकत्ते की तरफ बीजों (धन्व०नि०५/६ पृ० २२२) को पक कहते हैं। (भाव०नि० आम्रादि फलवर्ग० पृ० ५५४) हैं। खज्जूर खज्जूर (खर्जूर) पिण्डखजूर उत्त० ३४/१५ खर्जुरम् ।क्ली० । खजूरफले, पिण्डीखजूंरे। (वैद्यक शब्द सिन्धु० पृ० ३४२) ___ खजूर | पु० क्ली० । फल खजूरभेदाः-म धु-भूपिण्ड-राज खजूर भेदेन चतुर्धा, पिण्डखरं मधुर फलेषु श्रेष्ठम्। (आयुर्वेदीय शब्दकोश पृ० ४६५) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में यह खज्जूर शब्द मधुररस की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है । पिण्ड खजूर मधरफलों में श्रेष्ठ होता है, इसलिए यहां खजूर का अर्थ मुष्पकाट । पिण्डखज्जूर ग्रहण किया गया है। वैद्यक शब्द सिन्धु में अन्य भाषाओं में नाम पिण्ड खज्जूर अर्थ स्पष्ट है। हि०-कोशम्भ, कुसुम, कोसम। म०-कोसिंब। खजूर के पर्यायवाची नामक०-चकोत। ता०-पुमरम्। मल०-पुपम् । पिण्डखर्जूरका खजूं:, दुःप्रधर्षा सुकण्टका।। गु०-कोसुंब। अं०-Ceylo Oak (सिनोन् ओक) खर्जूरं तुवरं शीतं, मधुरं रसपाकयोः ।।२६४ ।। ले०-Schleichera trijuga willd (श्लीकेरा ट्राइज्यूगा) खर्जूर, दुःप्रधर्षा, और सुकण्टका ये पिंडखजूरिका Fam, Sapindaceae (सेपिण्डेसी)। के पर्याय हैं। उत्पत्ति स्थान-यह सतलज से नेपाल तक दक्षिण (कैयदेव निघंटु ओषधिवर्ग श्लोक २६४ पृ० ५६) तथा सिवालिक पहाड के ऊपर मध्य भारत में पाया जाता अन्य भाषाओं में नामहै। __हि०-खजूर, छुहारा। गु०-खजूरो, खारेक । विवरण-इसका वृक्ष बड़ा छायादार तथा सुंदर बं०- खजूर, खेजूर। ता०-पेरिच्चु, तमररुतब! होता है। पत्ते पक्षवत तथा ८ से १६ इंच लम्बे होते हैं। अंo-Date edidle (डेटएडीवल)। ले०-Phoenix पत्रक ३ से ४ जोड़े अखण्ड ३ से १० इंच लम्बे आयताकार Dactylifera (फिनिक्स डेक्टिलिफेरा) (P. Excelsa) अवन्त तथा चिकने होते हैं। नीचे वाले पत्रक ऊपर के (फिनिक्स एक्सेल्सा)। पत्रकों की अपेक्षा छोटे होते हैं। फूल मंजरी में आते हैं उत्पत्ति स्थान-खजूर या छुहारों का मूल उत्पत्ति और वे पीलापन युक्त हरे रंग के होते हैं। फल १.५ इंच स्थान ईराक, उत्तरी अफ्रीका, मिश्र, सीरिया, अरब तथा लम्बे गोल, दानेदार और किंचित नोकीले होते हैं। बीज काबुल, कन्दहार है। संप्रति पंजाब और सिंध में ये बोए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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