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लेश्या-कोश
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मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ पर समीक्षा स्मृति मन्थ प्रकाशित होने में काफी विलम्ब हुआ किन्तु ग्रन्थ हर दृष्टि से पठनीय एवं सुन्दर है। आप सभी बधाई के पात्र हैं।
-हजारीमल बांठिया, कानपुर राह देखते-देखते आज स्व. मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ प्राप्त हुआ। कुछ पढ़ा गया, कुछ देखा गया। बड़ा अच्छा लगा। आप तथा केवलचन्दजी नाहटा को बहुत-बहुत साधुवाद । ___ दर्शन दिग्दर्शन केवल देखा गया। बड़े-बड़े सुन्दर-सुन्दर लेख आपके द्वारा दिए गये हैं।
-प्रतापसिंह बैद
महावीर भवन
श्रीलाल मार्केट सिलीगुड़ी-७३४४७१
२६ मार्च १९६६ समुच्चय कोश मिमांसा श्री चोरडियाजी जैन दर्शन के अच्छे विद्वानों में एक है। लेश्या कोश, क्रिया कोश, वर्धमान जीवन कोश, (तीन भागों में), योग कोश दो भागों में और वर्तमानकालिन 'पुद्गल कोश आदि पुस्तकों को प्रकाशित करके इन्होंने अपनी विद्वत्ता का परिचय पूर्व में ही दे दिया है। इन्होंने ध्यान कोश व परिभाषा कोश और संयुक्त लेश्या कोश आदि पुस्तकों का भी संकलन किया है। इनके द्वारा लिखित 'मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास' एक विशिष्ट दार्शनिक मूल मन्थ है जो जैन परम्परा के अनुसार आत्मा की स्पष्टता को बोध कराता है। यह पुस्तक श्री चोरड़ियाजी के अद्वितीय योगदान को विभिन्न विषयों पर दर्शाता है। ___उनकी सभी विश्वकोश सम्बन्धी योजनाए अपूर्व है। इन विश्वकोशों को तैयार करते समय अन्तर्राष्ट्रीय दशमलव नियमों का वर्गीकरण श्रेणी विभाजन जो कि विश्व के पुस्तकालयों में प्रत्येक दशमलव बिन्दु को प्रकरण के अनुसार प्रत्येक प्रकरण में एक दशमलव बिन्दू निर्धारित है। उदाहरण स्वरूप
०० शब्द विवेचन ००१ शब्द व्युत्पत्ति
००१-१. प्राकृत में पोग्गल शब्द की ब्युत्पत्ति [बाद में विषय की व्याख्या का अनुकरण है । ] प्रत्येक विषय का वर्णन ( सहस्र भागों में विभाजित ) सौ से
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