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लेश्या-कोश
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वि पहा, सेसेस एक्का सुक्कलेस्सा, अणुत्तरोववाइयाणं एक्का परमसुकलेस्सा |
- जीवा० प्रति ३ । १ । सू २१५ | पृ० २३६ε
टीका- सौधर्मेशानयोर्भदन्त ! कल्पयोर्देवानां कति लेश्याः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - गौतम ! एका तेजोलेश्या, इदं प्राचुर्यमङ्गीकृत्य प्रोच्यते । यावता पुनः कथंचित्तथाविधद्रव्यसम्पर्कतोऽन्याऽपि लेश्या यथासम्भवं प्रतिपत्तव्या सनत्कुमारमाहेन्द्रविषयं प्रश्नसूत्रं सुगम, भगवानाह - गौतम ! एका पद्मलेश्या प्रज्ञप्ता, एवं ब्रह्मलोकेऽपि, लान्तके प्रश्नसूत्रं सुगमं, निर्वचनं - गौतम ! एका शुक्ललेश्या प्रज्ञप्ता, एवं यावदनुत्तरोपपातिका देवाः ।
वैमानिकों के विमानों के वर्णों, शरीर के वर्णों तथा लेश्या का तुलनात्मक
चार्ट -
सौधर्म
ईशान
सनत्कुमार
माहेन्द्र
ब्रह्मलोक
लान्तक
महाशुक्र
सहस्रार
आनत यावत्
अच्युत
विमान
पाँचों वर्ण
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कृष्ण बाद चार
"3
लाल-पीत-शुक्ल
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पीत- शुक्ल
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शुक्ल
ग्रैवेयक
अनुत्तरोपपातिक परम शुक्ल
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शरीर
तप्तकनकरक्तअभा
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पद्मपक्ष्मगौर
19
'अल्ल' मधुकवर्ण
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'अल्ल' मधुकवर्ण
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'अल्ल' मधुकवर्ण परम शुक्ल
लेश्या
तेजो
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पद्म
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शुक्ल
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12
शुक्ल
टीकाकार ने सौधर्म तथा ईशान देवों के शरीर का वर्ण उत्तप्त कनक की रक्त आभा के समान बताया है । सनत्कुमार तथा माहेन्द्र देवों के शरीर का वर्ण पद्मपक्ष्मगौर अथवा पद्मकेशर तुल्य शुभ्र वर्ण कहा है। ब्रह्मलोक देवों के शरीर का वर्ण मूल पाठ में 'अल्लमधुगवण्णाभा' है लेकिन टीकाकार ने उसे सनत्कुमार तथा
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परम शुक्ल
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