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लेश्या-कोश
३३१ जीवा सेसं तं चेव । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा।
-भग० श ३० । उ १ । सू २५ से २६ । पृ० ६०७-६०८ सलेशी क्रियावादी नारकी सब केवल मनुष्यायु बाँधते हैं तथा अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी नारकी सभी स्थानों में नरकायु तथा देवायु नहीं बाँचते हैं, तिथंचायु तथा मनुष्यायु बाँधते हैं। नारकी की तरह सलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार भवनवासी देव जो क्रियावादी हैं वे केवल एक मनुष्यायु का बंधन करते हैं तथा जो अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी हैं वे तियंचायु तथा मनुष्यायु का बंधन करते हैं । __ सलेशी पृथ्वीकायिक जो अक्रियावादी तथा अज्ञानवादी होते हैं वे तिथंचायु तथा मनुष्यायु बाँधते हैं • नरकायु तथा देवायु नहीं बाँधते हैं। कृष्ण-नीलकापोतलेशी पृथ्वीकायिकों के सम्बन्ध में ऐसा ही कहना चाहिए। तेजोलेशी पृथ्वीकायिक किसी भी आयु का बंधन नहीं करते हैं । पृथ्वीकायिक जीवों की तरह अपकाधिक तथा वनस्पतिकायिक जीवों के सम्बन्ध में जानना चाहिए।
सलेशी अग्निकायिक तथा वायुकायिक जीव अक्रियावादी तथा अज्ञानवादी ही होते हैं तथा सर्व स्थानों में केवल तिथंचायु बाँधते हैं ।
पृथ्वीकायिक जीवों की तरह द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय तथा चतुरिन्द्रिय जीवों के सम्बन्ध में जानना चाहिए ।
क्रियावादी सलेशी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव मनःपर्यव ज्ञानी की तरह केवल देवायु बाँधते हैं तथा देवायु में भी केवल वैमानिक देवों की आयु बाँधते हैं। अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयबादी सलेशी पंचेन्द्रिय तिर्यंच चारों ही प्रकार की आयु बाँधते हैं । कृष्णलेशी क्रियावादी पंचेन्द्रिय तिर्यंच कोई भी आयु नहीं बाँधते हैं । अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी कृष्णलेशी पंचेन्द्रिय तियंच चारों ही प्रकार की आयु बाँधते हैं। जैसा कृष्णलेशी पंचेन्द्रिय तिर्यंच के सम्बन्ध में कहा, वैसा ही नीललेशी तथा कापोतलेशी तिथंच पंचेन्द्रिय के सम्बन्ध में जानना चाहिए। क्रियावादी तेजोलेशी तिर्यंच पंचेन्द्रिय क्रियावादी सलेशी तियंच पंचेन्द्रिय की तरह केवल वैमानिक देवों की आयु बाँधते हैं। अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी तेजोलेशी तिथंच पंचेन्द्रिय नरकाय नहीं बाँधते हैं, परन्तु तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु, देवायु बाँधते हैं । पद्मलेशी तथा शुक्ललेशी पंचेन्द्रिय तिर्यंच के सम्बन्ध में जैसा तेजोलेशी तिर्यंच पंचेन्द्रिय के सम्बन्ध में कहा, वैसा ही कहना चाहिए।
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