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लेश्या-कोश
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पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो उद्देसो भाणियव्वो । नवरं x x x देवेहिंतो ण उववज्जंति, सेसं तं चेव) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से पृथ्वीकायिक जीवों के उद्देशक ( ५८१०१-१२ ) में जैसा कहा वैसा ही
कहना |
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-भग० श २४ । उ १४ । सू १ । पृ० ८३७
*५८१३ वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में*५८*१३*१-१२ स्व-पर योनि से वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- १-६ स्व-पर योनि से वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (वाउकाइया णं भंते! कओहितो उववज्जंति ? एवं जहेव तेक्का इयउद्देसओ तहेव ) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से अग्निकायिक उद्देशक ( *५८*१२ ) में जैसा कहा वैसा ही कहना |
- भग० श २४ । उ १५ । सू १ । पृ० ८३७
५८ १४ वनस्पतिकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में'५८'१४'१-१८ स्व-पर योनि से वनस्पतिकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक - १-१ स्व- पर योनि से वनस्पतिकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( वणस्सइकाइया णं भंते ! x x x एवं पुढविक्काइयसरिसो उद्देसो) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से पृथ्वीकायिक उद्देशक ( ५८'१० १ - १८ ) में जैसा कहा वैसा ही कहना |
- भग० श २४ । उ १६ । सू १ । पृ० ८३७
५८.१५ द्वीन्द्रिय जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में*५८*१५*१*१२ स्व-पर योनि से द्वीन्द्रिय जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक - १-६ स्व-पर योनि से द्वीन्द्रिय जीवों में होने योग्य जो जीव हैं ( बेइ दियाणं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ? जाव - पुढविकाइए णं भंते! जे भविए बेइ दिएस उववज्जिन्त्तए x x x सच्चेव पुढवि
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