________________
लेश्या-कोश ०९ लेश्या का निक्षेप और नय की अपेक्षा विवेचन '०९१ निक्षेप की अपेक्षा लेश्या पर विवेचन (क) आगम नोआगतो, नोआगमतो य सो तिविहो।
लेसाणं निक्खेवो, चउक्कओ दुविहं होइ नायव्वो ॥५३४।। जाणगभवियसरीरा, तव्वइरित्ता य सा पुणो दुविहा । कम्मा नोकम्मे या, नोकम्मे हुति दुविहा उ ॥५३।। जीवाणमजीवाण य, दुविहा जीवाण होइ नायव्वा । भवमभवसिद्धिआणं, दुविहाण वि होइ सत्तविहा ॥५३६।। अजीवकम्मनोदव्व-लेसा, सा दसविहा उ नायव्वा । चन्दाण य सुराण य, गहगणनक्खत्तताराणं ॥५३७।। आभरणच्छायणा-दंसगाण, मणिकागिणीणजा लेसा । अजीवदव्वलेसा, नायव्वा दसविहा एसा ॥५३८।। जा दव्वकम्मलेसा, सा नियमा छविहा उ नायव्वा । किण्हा नीला काऊ, तेऊ पम्हा य सुक्का य ॥५३६।। दुविहा उ भावलेस्सा, विसुद्धलेस्सा तहेव अविसुद्धा । दुविहा विसुद्धलेसा, उवसमखइआ कसायाणं ॥४०॥ अविसुद्धभावलेसा, सा दुविहा नीयमसो उ नायव्वा । पिज्जमि अ दोसम्मि अ, अहिगारो कम्मलेस्साए ॥५४१।। नो-कम्मदव्वलेसा, पओगसा वीससा उ नायव्वा । भावे उदयो भणिओ, छण्हं लेसाण जीवेसु ॥५४२।। अज्झयणे निक्खेवो, चउक्कओ दुविहं होइ दव्वम्मि । आगम नोआगतो, नोआगमतो यं तं तिविहं ।।५४३।। जाणगभवियसरीरं, तव्वइरितं च पोत्थगाईसु । अज्झप्पस्साणयणं नायव्वं भावमझयणं ॥५४४॥
.
. --उत्त० अ ३४ । निर्यक्तिगाथा लेश्या के दो विवेचन—आगम से, नोआगम से। नोआगम विवेचन तीन प्रकार का होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org