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लेश्या-कोश
- ०५.२.४ भावलेश्या अगुरलघु है ।
कण्हलेस्साणं भंते ! किं गुरुया जाव अगुरुलहुया ? णो गुरुया, णो लहुआ, गुरुलहुआ वि अगुरुलहुया वि । से केण?णं भंते ! xxx गोयमा ! पडुच्च दव्वलेस्सं ततियपएणं, भावलेस्सं पडुच्च चउत्थपएणं, एवं जाव सुक्कलेस्सा।
--भग० श १ । उ ह । सू ४०८ से ४१० । पृ०६८
.०५.२.५ भावलेश्या जीवोदय-निष्पन्न भाव है। ___ से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने ? अणेगविहे पन्नत्ते, तं जहा-णेरइए x x x पुढविकाइए जाव तसकाइए, कोहकसाई जाव लोहकसाई x x x कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से x x x संसारत्थे असिद्ध, से तं जीवोदयनिष्फन्ने।
-अणुओ० सू १२६ । पृ० ११११
.०५.२.६ भावलेश्या परसर में परिणमन करती है। ___ गोयमा! ( कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता) लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु २, कण्हलेस्सं परिणमइ कण्हलेस्सं परिणमइत्ता कण्हलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ।
गोयमा ! ( कण्ह लेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता ) लेस्सहाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमइ नीललेस्सं परिणमइत्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ।
-भग० श १३ । उ १ । सू १६ से २१ । पृ० ५६३
.०५.२७ भावलेश्या सुगति-दुर्गति की हेतु है । अतः कर्म-बन्धन में भी किसी
प्रकार का हेतु है। तओ दुग्गइगामियाओ ( कण्ह-नील-काऊलेस्साओ ) तओ सुग्गइगामियाओ ( तेऊ-पम्ह-सुकलेस्साओ)।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सु १२४१ । पृ० २६७
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