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लेश्या-कोश (ग) ( उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाण ) जहेव भुयपरिसप्पाणं तहेव।
(घ) ( चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं ) जहा पक्खीणं । (ङ) (जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं) जहा भुयपरिसप्पाणं ।
जीवा० प्रति ३ । उ १ । सू ६७ । पृ० १४७-४८ जलचर, चतुष्पादस्थलचर, उरपरिसर्प स्थलचर, भुजपरिसर्प स्थलचर, खेचर तिर्यच पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है। १६.२ संमुछिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय मेंसमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहा नेरइयाणं ।
-पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८ संमुछिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है- यथा-कृष्ण-नील-कापोत । १६. ३ जलचर संमुच्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय मेंसंमुच्छिमपंचेन्दियतिरिक्खजोणिया xx जलयरा-लेस्साओ तिन्नि।
-जीवा० प्रति १। सू ३५ । पृ० ११३ जलचर संमुच्छिम तिर्यच पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है। '१६ '४ स्थलचर संमुछिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में--
चतुष्पादस्थलचर संमुछिम में--- (क) चउप्पय थलयर संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाxxजहा जलयराणं।
-जीवा० प्रति १। सू ३६ । पृ० ११४ चतुप्पाद स्थलचर संमुछिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है। उरपरिसर्प स्थलचर संमुच्छिम में(ख) उरयपरिसप्पसंमुच्छिमा xx जहा जलयराणं ।
-जीवा० प्रति १। सू ३६ । पृ० ११४ उरपरिसर्प स्थलचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है । भुजपरिसर्प स्थलचर संमुच्छिम में-- (ग) (भुयपरिसप्प संमुच्छिम थलयरा) जहा जलयराणं ।
---जीवा० प्रति १। सू ३६ । पृ० ११४ भुजपरिसर्प स्थलचर संमुछिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है । १६५ खेचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में( संमुच्छिम पंचंदियतिरिक्खजोणिया xx खहयरा ) जहा जलयराणं
-जीवा० प्रति १ । सू ३६ । पृ० ११५ खेचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है।
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