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(७) (थ) त्रिपृष्ठ वासुदेव का नरक गमन
तिविठूणं वासुदेवे चउरासीई वाससयसइस्साई सव्वाउयं पालइत्ता अप्पइठाणे नरए नेरइयत्ताए उववण्णे ।
-सम० सम ८४/सू ५ त्रिपृष्ठ वासुदेव ८४००००० वर्ष का सर्वायु पालन कर सप्तम नरक के अप्रतिष्ठान नरकावास में उत्पन्न हुए । (द) वर्धमान का समय-काल
विक्रमरजारंभा परओ सिरिवीरनिव्वुईभणिया।
सुन्नमुणिवेयजुत्तो विक्कमकालओ जिणकालो । टीका-विक्रमकालाज्जिनस्य वीरस्य कालो जिनकालः शून्य (०) मुनि (७) वेद (४) युक्तः।
चत्वारिंशतानि सप्तत्यधिकवर्षाणि श्री महावीर विक्रमादित्ययोरन्तरमित्यर्थः।
-विचार श्रेणी पृ० ३-४ विक्रम काल से ४७० वर्ष पूर्व वीर जिन का काल था। (ध) वर्धमान का कुमार काल
पंच तित्थयरा कुमारवासमझे वसित्ता मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया, तंजहा-वासुपुज्जे, मल्ली, अरिठणेमी, पासे, वीरे |
-ठाण० स्था ५/उ ३/सू २३४ पाँच तीर्थंकर कुमारकाल में आगारसे अनगार हुए यथा-वासुपूज्य, मल्लीनाथ, अरिष्टनेमि, पार्श्वनाथ और वर्धमान ।
नोट :-वर्धमान तीर्थंकर की बहत्तर वर्ष की आयु थी। तीस वर्ष की अवस्था में अनगार बने । (न) से किं तं अंगुले ? २ तिविहेपन्नत्ते । तंजहा-आयंगुले १ उस्सेहंगुले २ पमागंगुले ३ । से किं तं पमाणंगुले ? २ एगमेगस्स णं रणो चाउरंतचकवहिस्स अट्ठ सोवण्णिए काकणिरयणे छत्तले दुवालसंसिए अट्टकण्णिए अहिगरणिसंठाणसंठिए पण्णत्ते । तस्सणं एगमेगा कोडी उस्सेहंगुलं विक्खंभा ? तं समणस्स भगवओ महावीरस्स अद्धगुलं, तं सहस्सगुणं पमाणंगुलं भवति ।
-अणुओ० सू ३३३, ३५८
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