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१. पट्टावलि दुस्समकाल, समण, संघस्थव और विचार-श्रेणी के अनुसार 'युगप्रधान- पट्टावलि' और समय। १- आचार्यों के नाम
समय (वीर-निर्वाण से वर्ष) १-गणधर सुधर्मा स्वामी २-आचार्य जंबूस्वामी
२०.६४ , प्रभव स्वामी
६४-७५ ,, शय्यंभवसूरि
७५-६८ ,, यशोभद्रसूरि
६८-१४८ ,, संभूति विजय
१४८-१५६ , भद्रबाहु स्वामी
१५६-१७० स्थूलभद्र
१७०-२१५ महागिरि
२१५-२४५ सूहस्तिसूरि
२४५-२६१ , गुणसुन्दरसूरि
२६१-३३५ ,, श्यामाचार्य
३३५-३७६ ,, स्कन्दिल
३७६-४१४ ., रेवति मित्र
४१४.४५० धर्मसूरि
४५०.४६५ भद्रगुप्तसरि
४६५-५३३ श्रीगुप्तसरि
५३३-५४८ ,, वज्रस्वामी
५४८-५८४ आर्यरक्षित
५८४-५६७ ,, दुर्वलिका पुष्यमित्र ५६७-६१७ , वज्रसेनसरि
६१७-६२० ,, नागहस्ती
६२०-६८६ रेवतिमित्र
६८६-७४८ सिंहसूरि
७४८.८२६ , नागार्जुनसरि
८२६.६.४ ,, भूतदिन्नसूरि
६०४-१८३ कालिकसरि (चतुर्थ) ६८३-६६४ , सत्यमित्र
६६४-१००० हरिल्ल
१०००-१०५५ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण १०५५-१११५ , उमास्वातिसूरि
१११५-११६०
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