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( २५१ ) .२३ कृष्ण देवी (ईशानेन्द्र की अग्रमहिषी)
तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ॥४॥
तेणं कालेणं तेणं समपणं कण्हादेवी ईसाणे कप्पे कण्हबर्डेसए विमाणे सभाए मुहम्माए कण्हसि सीहासणंसि, सेस जहा कालीए।।५।।
-नाया० श्रु २/व १०/अ १ उस काल उस समय में राजगृह नाम की नगरी में भगवान महावीर का पदार्पण हुआ।
उस काल उस समय में पद्मावती देवी सौधर्मकल्प में पद्मावतंसक नामक विमान में सुधर्मा नाम की सभा में पद्म नाम के सिंहासन पर बैठी थी। शकेन्द्र की अग्रमहिषी थी। भगवान् के वंदनार्थ आयी । नाट्यविधि दिखा कर वापस गयी।
-नाया० श्रु २/व ६ .७ भगवान महावीर के समसामयिकी घटना .१ परिषद् में श्रेणिक-चेल्लणा देवी को देखकर साधु-साध्वियों द्वारा निदान
___तएणं समणे भगवं महावीरे सेणियल्स रण्णो भंभसारस्स चेल्लणादेवीए तीसे य महामहालयाए xxx धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया, सेणियराया पडिगओ ॥११॥
तत्येगइयाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण यसेणियं रायं चेल्लणं च देवि पासित्ताणं इमे एयारूवे अज्झस्थिए जाव संकप्पे समुप्पज्जेजा ॥१२॥
अहोणं सेणिए राया महिड्ढ़िए जाव महासुक्खे जेणं हाए, कयबलिकम्मे कयकोउय मंगल पायच्छित्ते सव्वालंकार विभूसिए चेल्लणादेवीए सद्धि उरालाइ माणुस्सगाई भोगभोगाइ' जमाणे विहरइ । न मे दिट्ठा देवा देवलोगसि सक्खं खल्लु अयं देवे। जइ इमस्स सुचरियतवनियमवंभचेर गुत्ति वासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि तया वयमपि आगमिस्साए इमाइताइउरालाइ एयारूवाई माणुस्सगाई भोगभोगाइ जमाणो विहरामो। सेत साहु ॥१३॥ ___ अहोणं चेल्लणा देवी महिड्ढिया जाव महासुक्खा जाणंण्हाया, कयबलिकम्मा, कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता, जाव सव्वालंकार विभूसिया सोणिए रपणा सद्धि उरालाइ माणुस्सगाई भोगभोगाइ भुंजमाणी विहरइ, न मे दिवाओ देवीओ देवलोगंसि, सक्खं खलु इमा देवी। जइ इमस्स सुचरिय-तपनियम-बंभवेर-गुत्ति-वासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि तया वयमवि आगमिस्साए इमाई एयारूवाइ उरालाइजाप विहरामो। से तं साहुणी |१४|
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