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(झ) ज्योतिषी देव-शुक्र महाग्रह का -
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रायगिहे नयरे । गुणसिलए चेहए । सेणिए राया । सामी समोसढे । परिसानिग्गया । तेणं कालेणं तेण समर्पण सुक्के महग्गहे सुक्क डिसप विमा सुकसि सीहासणसि चउहिं सामाणिय साहस्सीहिं जहेव चंदो तहेब आगओ नट्टविहि उवदसित्ता पडिगओ ।
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- निर० व ३ / अ ३ / पृ ३७
गुणशिलक नामका चैत्य था ।
उस काल उस समय में राजगृह नामका नगर था । उस नगरी में श्रेणिक नाम के राजा थे । वहाँ भगवान् महावीर पधारे ।
उस काल उस समय में शुक्र नहाग्रह शुक्रावतंसक विमान में शुक्र सिंहासन पर चार हजार सामानिक देवों के साथ बैठे हुए थे ।
वह शुक्र महाग्रह चंद्रग्रह के समान भगवान के पास आये । और नाट्य-विधि दिखाकर वैसे ही चले गये ।
(ञ) सौधर्मदेवलोक से - बहुपुत्रिका देवी
तेण' कालेण ं तेण समरण रायगिहे नाम नयरे । गुणसिलए चेइए । सेणिए राया । सामी समोसढे । परिसा निग्गया ।
तेणं कालेणं तेणं समपण बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरियाहि । जहा सुरियाभे जाब भुजमाणी विहरण, इमं च ण केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेण ओहिण्णा आभोपमाणी २ पास पासइत्ता समण भगवं महावीरं जहा सुरियाभो जाव नमसित्ता सीहा सणवदसि पुरत्याभिमुहा संनिसण्णा | अभिओगा जहासुरियाभस्स, सुसरा घंटा, अभियोगियं देवं सहावेइ । जाणविमाण जोयणसहस्सवित्थिण्ण' । जाणविणवणओ। जाव उत्तरिल्लेणं निजामग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिंचिंग्गहेहिं आगया जहा सुरियाभे । धम्मक हा सम्मत्ता ।
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तणसा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेह २ देवकुमाराण अट्ठसय, देवकुमारियाण' य वामाओ भुयाओ अडलयं, तयाणंतरं य बहवे दारगा य दरियाओ य डिम्भए य डिम्भयाओ य बिउव्वर नहबिहि, जहा सुरियाभो, उवसित्ता पडिगए ।
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- निर व ३/२४ / पृ ४६
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