________________
(
१७८ )
उस काल-उस समय में-इस जम्बूदीप के भरत क्षेत्र में चम्पा नामक नगरी थी। पूर्णभद्र चैत्य था। उस चंपा नगरी में श्रेणिक राजा का पुत्र, चेल्लणा देवी का आत्मज कृणिक नामक राजा था।
___ उस काल-उस समय में, श्रमण भगवान महावीर का पदार्पण हुआ । परिषद् वंदनार्थ आयी।
(ढ) तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था-वण्णओ ॥२॥
तीसे णं चंपाए नगरीए पुण्णभद्दे नाम चेइए होत्था–वणओ। सामी समोसढे, जाव परिसा पडिगया ॥२॥
-मग श, ५/उ २/सू० १, २ उस काल-उस समय में, चम्पा नाम की एक नगरी थी, उस नगर के बाहर पूर्णचन्द्र नामक चैत्य था । (व्यंतरायतन ) वहाँ श्रमण भगवान महावीर स्वामी पधारे। यावत परिषद् वंदनार्थ तथा धर्मोपदेश श्रवणार्थ भगवान के निकट आई तथा वंदन और उपदेश श्रवण, के पश्चात् भक्त जन निज-निज स्थान पर लौट गये।
(ण) तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरीहोत्था। x x x पुण्णभद्दे चेइए। तत्थणं चंपाए नयरीए सेणियस्स रत्नोपुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणिए नाम रायाहोत्था। x x x तस्स णं कृणियस्स रत्नो पउमावई नाम देवी होत्था।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए परिसा निग्गया।
-निर० स० ४,५ उस काल उस समय में जंबूद्वीप के भरत क्षेत्र में चंपानगरी थी। पूर्णभद्र चैत्य था। चंपानगरी में श्रेणिक राजा का पुत्र चेलणा देवी का आत्मज कूणिक नामक राजा था। उस कूणिक राजा के पद्मावती नामक देवी थी। उस काल उस समय में भमण मगवान महावीर पधारे । परिषद् वंदनार्थ निकली।
(त) तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था । वण्णओ पुण्णभहे नाम चेइए, वण्णओ। कोणिए राया। धारिणी देवी। सामी समोसढे परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसापडिगया।
दसासु• द ६/सू १ उस काल उस समय में चम्पा नाम की नगरी थी। पूर्णभद्र नाम का चैत्य था । कोणिक राजा था। धारिणी देवी थी। भगवान महावीर पधारे। परिषद् वंदनार्थ निकली। धर्मकथा श्रवण कर परिषद् वापस गयी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org